नई दिल्लीः अनुसूचित जाति के भीतर उप-वर्गीकरण कर आरक्षण देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बहुजन समाजवादी पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने असहमती जताई है. मायावती ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. इससे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. SC और ST के बीच उपजाति का विभाजन करना सही नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट को खुद क्रीमीलेयर के लिए मानक तैयार करना चाहिए था. 


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'आरक्षण को खत्म करने का प्लान'
बसपा सुप्रीमो और यूपी की पूर्व सीएम ने कहा कि अदायत के फैसले से कहीं न कहीं आरक्षण को खत्म करने का प्लान है. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में जिस क्रीमीलेयर का जिक्र किया है, उसका मानक क्या है. कौन सी जाति इस दायरे में आएगी. इसकी अभी तक कोई जानकारी नहीं है. मुझे लगता है कि आरक्षण में वर्गीकरण का मतलब आरक्षण को समाप्त कर उसे सामान्य वर्ग को देने जैसा होगा. 


'कोर्ट के फैसले सहमत नहीं बसपा' 
मायावती ने आगे कहा कि हमारी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बिल्कुल सहमत नहीं है. हम आरक्षण में किसी भी तरह के वर्गीकरण के खिलाफ हैं. SC-ST आरक्षण व्यवस्था को लेकर संविधान में उचित संशोधन होना चाहिए और इस संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए. अदालत के इस तरह के फैसले से केंद्र और राज्य सरकारों में मतभेद की स्थिति पैदा होगी. सरकारें मनचाही जातियों को आरक्षण देने का काम करेंगी. 


1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला 
बता दें कि गुरुवार 1 अगस्त को देश की सर्वोच्च अदालत ने SC-ST के आरक्षण के बंटवारे को लेकर अपना फैसला सुनाया. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि SC-ST आरक्षण के अंदर किसी विशेष जाति या कुछ जातियों को अलग से आरक्षण दिया जा सकता है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया और 6:1 के बहुमत से 2004 के ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश फैसले को पलट दिया.


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