नई दिल्ली: BSP Revival Plan: लोकसभा चुनाव-2024 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) को बड़ा झटका लगा है. इसके बाद पार्टी की सुप्रीमो मायावती कुछ बड़े फैसले कर सकती हैं. इसकी शुरुआत उन्होंने आकाश आनंद को एक बार फिर अपना उत्तराधिकारी चुनकर कर दी है. इसके अलावा, संगठन में बदलाव होंगे, नई लीक भी बनाने की कोशिश की जाएगी.


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बसपा को हुआ भारी नुकसान
2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने यूपी में 10 सीटें जीती थीं. लेकिन इस बार खाता भी नहीं खुल पाया. बसपा के वोट शेयर में भी कमी आई है. 2009 में BSP को यूपी में 27.42% वोट मिले. लेकिन ये घटते-घटते 2024 के चुनाव में मात्र 9.39% ही रह गए. यूपी में करीब 29 सीटों पर दलित वोट बैंक 22 से 40 फीसदी है. फिर भी बसपा यहां एक सीट भी नहीं जीत पाई, जबकि बसपा यूपी में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में दलितों की सबसे बड़ी पार्टी मानी जाती है.


आकाश आनंद के सामने बड़ी चुनौती
लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी की पूर्व CM मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को कम मैच्योरिटी का हवाला देते हुए नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपने उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया था. लेकिन अब फिर से उन्हें दोनों पदों पर नियुक्त कर दिया है. हालांकि, आकाश के सामने कई चुनौतियां होंगी, जिन्हें उनको पार करना होगा. सबसे बड़ी चुनौती भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर को बसपा का विकल्प बनने से रोकने की है. इसके अलावा, प्रदेश में 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में पार्टी का प्रदर्शन इस बार से बेहतर करना होगा.


बसपा का ये प्लान
बसपा ने दो ऐसे फैसले लिए हैं, जो इतिहास में नहीं लिए. पहला, पार्टी का युवा विंग बनाना और दूसरा, उपचुनाव लड़ना.


1. बसपा का युवा विंग: जैसे भाजपा और कांग्रेस की युवा कार्यकर्ताओं की विंग है, ठीक उसी तरह बसपा भी युवा विंग बनाने वाली है. आकाश आनंद खुद इसे स्थापित करने पर काम कर रहे हैं. युवाओं को पार्टी से जोड़ा जाएगा, ताकि वे चंद्रशेखर के पाले में न चले जाएं.


2. उपचुनाव लड़ेगी पार्टी: बसपा उपचुनाव में रुचि नहीं दिखाती है. लेकिन इस बार पार्टी की क्रिटिकल हालत को देखते हुए आलाकमान ने उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है. पार्टी 10 सीटों पर मजबूत प्रत्याशी खोज रही है. 


3. 50% युवाओं को पार्टी में जगह: बसपा के संगठन में जिन पदों पर निष्क्रिय लोग बैठे हैं, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. इनमें से 50% पर पदों युवा लोगों को बैठाया जाएगा. ताकि पार्टी में नया जोश आ सके, बूथ लेवल का कार्यकर्ता भी एक्टिव हो सके.


4. हर जिले में मीटिंग: लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद यूपी के हर जिले में पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. बंद कमरे में बातचीत करके पार्टी को मजबूत बनाने की रणनीति तय की जाएगी.


5. सदस्यता शुल्क घटाया: बसपा ने सदस्यता शुल्क भी घटा दिया, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग पार्टी का हिस्सा बन सकें. पहले 200 रुपये जमा कराने पर पार्टी की मेंबरशिप मिलती थी, अब ये राशि 50 रुपये कर दी गई है.


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