नई दिल्लीः बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने रविवार को अपने उत्तराधिकारी का ऐलान किया. जैसा कि पहले से अनुमान लगाया जा रहा था, मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपनी विरासत सौंपी है. साल 2017 में लॉन्च किए जाने के बाद से आकाश कई बार मायावती के साथ सार्वजनिक कार्यक्रमों में दिख चुके हैं. यही नहीं हाल में हुए राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान भी आकाश आनंद को सक्रिय भूमिका में देखा गया था. 


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कौन हैं आकाश आनंद
आकाश आनंत मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं. आकाश को सहारनपुर दौरे के दौरान मायावती के साथ देखा गया था. उन्होंने आकाश को मेरठ में एक रैली के दौरान बसपा कार्यकर्ताओं से भी मिलवाया था. आकाश कई बार मायावती के साथ दिखे हैं और कहा जाता है कि ट्विटर (अब X) पर मायावती को लाने के पीछे भी आकाश आनंद हैं. 


सामने हैं कई चुनौतियां
बसपा में नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद पहले से ही चुनावों में पार्टी में सक्रिय भूमिका में नजर आ रहे थे लेकिन अब लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें मायावती का उत्तराधिकारी घोषित किया गया है. ऐसे में उनके सामने काफी चुनौतियां हैं. न सिर्फ उन्हें मायावती की विरासत को आगे बढ़ाना है बल्कि पार्टी में भी नई जान फूंकनी है.


लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीटें बढ़ाना
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान बीएसपी और सपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था. मायावती और अखिलेश के साथ आने के बाद भी बसपा-सपा गठबंधन कुछ खास नहीं कर पाया था. हालांकि बीएसपी को 11 सीटें मिली थी. ऐसे में आकाश आनंद के सामने पहली ही कड़ी परीक्षा लोकसभा चुनाव है जिसमें उन्हें पार्टी की सीटें बढ़ाने के लिए जोर लगाना होगा. 


दलित वोटों में बीजेपी लगा चुकी है सेंध
मुफ्त राशन और अन्य योजनाओं के दम पर बीजेपी ने दलितों और अन्य वंचित वर्ग के लोगों के बीच लाभार्थी वोटबैंक बना लिया है. इसकी बदौलत बीजेपी ने यूपी में विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की थी. ऐसे में बसपा को अगर फिर से अपना वोट बैंक वापस अपने पाले में लाना है तो आकाश आनंद को लीक से हटकर कुछ करना होगा.


पार्टी में नई जान फूंकना
पिछले काफी समय से मायावती की सक्रियता पहले की तुलना में कम नजर आई है. ऐसे में उन पर बीजेपी को वॉकओवर देने के आरोप भी लगते रहे हैं. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान बीएसपी को सिर्फ 1 सीट मिली थी. पार्टी के लचर प्रदर्शन की वजह से कई नेता बीएसपी छोड़ चुके हैं जबकि कई सक्रिय नहीं रहे हैं. ऐसे में आकाश आनंद के सामने कार्यकर्ताओं में जोश भरने की भी चुनौती रहेगी.


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