कानपुरः नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ यूपी में हुए हिंसात्मक प्रदर्शनों की जांच जारी है. इन प्रदर्शन में PFI की भूमिका सामने आई थी. इसकी तह तक जांच के सिलसिले में कई अहम खुलासे हो रहे हैं. ऐसा ही एक हैरान करने वाला तथ्य शनिवार को भी सामने आया. पीएफआई (PFI) के सदस्यों ने किए चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. उन्होंने हिंसा के पीछे एसडीपीआई (SDPI) को राजनीतिक चेहरा बताया है. 


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हिंसा भड़काने में कर रहे थे सहयोग
CAA के विरोध में हिंसा भड़काने में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) राजनीतिक चेहरा बनकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की मदद कर रही है. 31 जनवरी को बाबूपुरवा पुलिस ने पीएफआई के पांचों सदस्यों को गिरफ्तार किया था. पूछताछ व जांच के बाद इनका सीधा ताल्लुक एसडीपीआई से निकला है. इंटेलीजेंस की टीम ने जेल में बंद पांचों आरोपियों से की पूछताछ में जानकारी हासिल की है. इसमें सामने आया कि एसडीपीआई के कई नेता अपनी छवि का फायदा उठाकर हिंसा भड़काने में पीएफआई का सहयोग कर रहे थे. 


इंटेलिजेंस ब्यूरो ने 12 नेताओं की सूची बनाई
शुरुआती पूछताछ में पांचों ने खुद को पीएफआई सदस्य था बताया था. 3जनवरी को मेरठ पुलिस ने हिंसा भड़काने के मामले में एसडीपीआई के प्रदेश अध्यक्ष नूर हसन और उसके ड्राइवर अब्दुल मुईद हाशमी को गिरफ्तार किया था. आईबी टीम ने जेल जाकर पकड़े गए पांचों पीएफआई सदस्यों और एसडीपीआई के प्रदेश अध्यक्ष से की पूछताछ तो पता चला पांचों पीएफआई की राजनीतिक शाखा एसडीपीआई जुड़े हैं. आईबी ने ऐसे करीब 12 एसडीपीआई नेताओं की सूची तैयार की है. इनके मोबाइल की कॉल डिटेल खंगालने के साथ उनकी पल-पल की गतिविधियों की निगरानी की जा रही है. 


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