Jai Palestine row: AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को हैदराबाद के सांसद के रूप में लोकसभा में शपथ ग्रहण के अंत में 'जय फिलिस्तीन' का नारा लगाकर राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेताओं ने कहा है कि यह नारा ओवैसी को 'विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करने' के लिए संसद से अयोग्य ठहराए जाने का कारण बन सकता है. बता दें कि ओवैसी का बयान अब लोकसभा के रिकॉर्ड से हटा दिया गया है.


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अपने राज्य तेलंगाना और बीआर अंबेडकर की प्रशंसा करने के अलावा, हैदराबाद सीट से पांचवीं बार चुने गए ओवैसी ने उर्दू में शपथ लेने के बाद
'जय फिलिस्तीन' का नारा लगाया, जिससे विवाद खड़ा हो गया.


नियमों की जांच करेंगे: रिजिजू
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि उन्हें कुछ सदस्यों से फिलिस्तीन के उल्लेख के बारे में शिकायतें मिली हैं, उन्होंने कहा कि वे नियमों की जांच करेंगे. उन्होंने कहा, 'फिलिस्तीन या किसी अन्य देश के साथ हमारी कोई दुश्मनी नहीं है. एकमात्र मुद्दा यह है कि शपथ लेते समय क्या किसी सदस्य के लिए किसी अन्य देश की प्रशंसा करते हुए नारा लगाना उचित है? हमें नियमों की जांच करनी होगी.'


भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने संविधान के अनुच्छेद 102 का एक अंश ओवैसी के नारे के वीडियो क्लिप के साथ एक्स पर पोस्ट किया. मालवीय ने कहा, 'मौजूदा नियमों के अनुसार, असदुद्दीन ओवैसी को विदेशी राज्य, यानी फिलिस्तीन के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करने के लिए उनकी लोकसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है.'


अनुच्छेद 102 संसद के सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराए जाने के आधार निर्धारित करता है.



ओवैसी क्या बोले?
संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने अपने कृत्य का बचाव किया. उन्होंने कहा, 'अन्य सदस्य भी अलग-अलग बातें कह रहे हैं... यह गलत कैसे है? मुझे संविधान का प्रावधान बताइए? आपको भी दूसरों की बातें सुननी चाहिए. मैंने वही कहा जो मुझे कहना था. महात्मा गांधी ने फिलिस्तीन के बारे में क्या कहा था, इसे पढ़िए.'


जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने फिलिस्तीन का जिक्र क्यों किया तो ओवैसी ने कहा, 'वे उत्पीड़ित लोग हैं.'


संविधान के अनुच्छेद 102 में अयोग्यता के बारे में कहा गया है?
1- कोई व्यक्ति संसद के किसी भी सदन का सदस्य चुने जाने और होने के लिए अयोग्य होगा.


a. यदि वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, संसद द्वारा कानून द्वारा घोषित किसी पद को छोड़कर, जो उसके धारक को अयोग्य नहीं ठहराता है.


b. यदि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है और किसी सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित किया गया है;


c. यदि वह अनुन्मोचित दिवालिया है.


d. यदि वह भारत का नागरिक नहीं है, या उसने स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर ली है, या किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा या अनुपालन की स्वीकृति के अधीन है.


e. यदि वह संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा या उसके अधीन अयोग्य घोषित किया गया है.


स्पष्टीकरण: इस खंड के प्रयोजनों के लिए कोई व्यक्ति केवल इस कारण भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा कि वह संघ या ऐसे राज्य का मंत्री है.


2- यदि कोई व्यक्ति दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित किया जाता है तो वह संसद के किसी भी सदन का सदस्य होने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा.


दसवीं अनुसूची - जिसे दलबदल विरोधी अधिनियम के नाम से जाना जाता है - संसद के व्यक्तिगत सदस्यों (एमपी) को एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में जाने पर दंडित करती है. यह किसी अन्य राजनीतिक दल में दलबदल के आधार पर निर्वाचित सदस्यों की अयोग्यता के प्रावधान निर्धारित करता है.


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