मध्य प्रदेश की सड़कों पर उतरे सीएम शिवराज, जानें- किसके लिए जुटाए 8.5 करोड़ रुपये
चश्मदीदों ने बताया कि ‘‘अडॉप्ट एन आंगनबाड़ी’’ (एक आंगनबाड़ी को गोद लीजिए) अभियान के तहत चौहान ने लोधीपुरा क्षेत्र से पैदल चलना शुरू किया और कोई 800 मीटर की दूरी तय करते हुए आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए बड़ी मात्रा में सामान एकत्र किया.
इंदौर: मध्य प्रदेश की आंगनबाड़ियों को जन सहयोग से सुदृढ़ करने के अभियान को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार शाम इंदौर की सड़कों पर उतरे. उन्होंने अपनी इस नयी मुहिम के दौरान 8.5 करोड़ रुपये के दान के साथ ही लाखों रुपये के खिलौने, खेलकूद सामग्री, कपड़े, कुर्सियां तथा अन्य सामान जुटाया.
चश्मदीदों ने बताया कि ‘‘अडॉप्ट एन आंगनबाड़ी’’ (एक आंगनबाड़ी को गोद लीजिए) अभियान के तहत चौहान ने लोधीपुरा क्षेत्र से पैदल चलना शुरू किया और कोई 800 मीटर की दूरी तय करते हुए आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए बड़ी मात्रा में सामान एकत्र किया.
कुल 8.5 करोड़ रुपये के चेक भी दिए
इस दौरान शहर के कई बच्चों ने बड़ा दिल दिखाते हुए मुख्यमंत्री के हाथों में अपनी गुल्लक थमा दी. चौहान ने बताया कि आंगनबाड़ी के बच्चों के भले के लिए उन्हें शहर के लोगों ने कुल 8.5 करोड़ रुपये के चेक भी दिए हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘यह बात मेरे दिल को हमेशा कचोटती है कि राज्य में कई बच्चे कुपोषित हैं. कुपोषण दूर करने के लिए हर कदम उठाना सरकार की जिम्मेदारी है और मैं इससे जरा भी बच नहीं रहा हूं. लेकिन आंगनबाड़ियों में हमारे बच्चों को उचित पोषण और जरूरी संसाधन मुहैया कराने के अभियान से समाज का जुड़ना भी जरूरी है.’’
विपक्ष कस रहा है तंज
सीएम शिवराज ने कहा कि आंगनबाड़ी के बच्चों की खातिर सामान जुटाने के लिए उनके द्वारा ठेला लेकर सड़कों पर उतरने का विपक्ष मजाक उड़ा रहा है, लेकिन उन्हें अपनी इस पहल पर कोई संकोच नहीं है. उन्होंने कहा,‘‘मैं आंगनबाड़ियों के जरिये कुपोषण दूर करने के अभियान को जनता का आंदोलन बनाकर ही चैन की सांस लूंगा.’’
मुख्यमंत्री ने आम नागरिकों से अपील की कि वे जन्मदिन तथा विवाह की वर्षगांठ सरीखे अवसरों और दिवंगत परिजनों की याद में आंगनबाड़ी के बच्चों को दूध, फल और पोषणयुक्त भोजन के साथ ही उनकी जरूरत का सामान मुहैया कराएं. गौरतलब है कि चौहान ने 24 मई को भोपाल से ‘‘अडॉप्ट एन आंगनबाड़ी’’ अभियान की शुरुआत की थी और उन्हें ठेला लेकर सूबे की राजधानी में लोगों से आंगनबाड़ियों के बच्चों के लिए खिलौने, किताबें और अन्य सामान एकत्रित करते देखा गया था.
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