UP: बाढ़ से बेहाल जिलों का सीएम योगी ने किया हवाई सर्वेक्षण, अधिकारियों के दिये निर्देश
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक बाढ़ प्रभावित जिले में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को नोडल अफसर बनाकर भी भेजा जा रहा है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरयू और राप्ती नदियों में जल स्तर बढ़ने से देवीपाटन मंडल के गोंडा, बहराइच और बलरामपुर जिलों में बाढ़ का जायजा लेने के लिए शुक्रवार को हवाई सर्वेक्षण किया.
बाढ़ पीड़ितों की मदद का ऐलान
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक बाढ़ प्रभावित जिले में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को नोडल अफसर बनाकर भी भेजा जा रहा है. उन्होंने बाढ़ पीड़ितों को विभिन्न योजनाओं के तहत हर संभव मदद देने का भी आश्वासन दिया. गोंडा जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर बाबा मठ नामक स्थान पर पत्रकारों से मुख्यमंत्री ने कहा कि सरयू, घाघरा, शारदा, राप्ती जैसी नदियों में पानी बढ़ने से इस वर्ष राज्य को तीसरी बार बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने दावा किया कि सरकार द्वारा समय से किए गए प्रयासों का परिमाण है कि विगत वर्षों की तुलना में इस वर्ष कम नुकसान हुआ है.
उन्होंने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ विचार विमर्श कर उन्हें राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने की हिदायत दी. मुख्यमंत्री ने बताया कि मौजूदा समय में राज्य के 15 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित सभी जिलों में एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल), एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल) और पीएसी की बाढ़ इकाई पूरी तत्परता से काम कर रही है.
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार देवीपाटन मंडल के बहराइच, गोंडा व बलरामपुर जिले के 108 गांवों की 6,725 हेक्टेयर कृषि भूमि व 93 हजार आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है.
एक सूत्र ने बताया कि शुक्रवार की ताजा रिपोर्ट में बहराइच जिले के 23 गांवों की 12 हजार आबादी व 11 हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ प्रभावित है. गोरखपुर में राप्ती और रोहिन नदी उफान पर हैं और खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. गोरखपुर के जिलाधिकारी विजय किरण आनंद ने कहा कि जिले में इस समय 243 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं.
सरयू, राप्ती और घाघरा उफान पर
उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में इस साल एक जून से अब तक 590.9 मिमी औसत वर्षा हुई जो सामान्य वर्षा 645.1 मिमी के सापेक्ष 92 प्रतिशत है. उन्होंने बताया कि बदायूं में गंगा नदी, लखीमपुर खीरी में शारदा, अयोध्या व बलिया में सरयू, सिद्धार्थनगर व गोरखपुर में राप्ती और कुनहरा-सिद्धार्थनगर में बूढ़ी राप्ती, महाराजगंज में रोहिन तथा गोंडा में कुआनो खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है.
एनडीआरएफ की वाराणसी स्थित 11वीं बटालियन के कमांडेंट मनोज शर्मा ने शुक्रवार को दूरभाष पर पीटीआई-भाषा को बताया कि बाढ़ ग्रस्त जिलों में एनडीआरएफ की टीम पूरी तत्परता से काम कर रही है. उन्होंने बताया कि हर एनडीआरएफ टीम के जवानों के पास डीप डाइविंग किट (गोताखोरी के लिए जरूरी उपकरण) मौजूद हैं और इसके जरिये आपदा के समय व्यक्ति की जान बचाने के साथ सामान ले जाने की भी सुविधा होती है.
शर्मा ने बताया कि दल के जवानों को एमआरएफ (मेडिकल फर्स्ट रिस्पाडेंट) किट भी दी गई है जो विषम परिस्थितियों में बीमारों के उपचार में सहायक साबित होती है. उन्होंने बताया कि जवानों को चिकित्सकीय सुविधा देने के प्रशिक्षण के साथ ही विषम परिस्थिति में गर्भवती महिला को प्रसव कराने के लिए भी साधन उपलब्ध कराए गए हैं.
किसानों को जल्द मुआवजा देने की पहल
मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि बरसात के दिनों में सांप, बिच्छू व जंगलों जानवरों के काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. इससे निपटने के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं. सरकार ने जल जमाव वाले क्षेत्रों में फसलों के नुकसान का आंकलन करने का निर्देश दिया है, जिससे किसानों को समय से मुआवजा मिल सके.
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मुख्यमंत्री ने अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से विचार विमर्श करने के बाद कुछ बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री भी प्रदान किया. बहराइच में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक बाढ़ प्रभावित जिले में एक एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को नोडल अफसर बनाकर भेजा जा रहा है. ये अधिकारी अपने प्रभार वाले जिलों में 4 से 5 दिन कैम्प कर बाढ़ राहत व बचाव तथा जल जनित व विषाणु जनित बीमारियों की रोकथाम के उपायों की समीक्षा करेंगे.
बहराइच जिले के सर्वाधिक प्रभावित महसी क्षेत्र का हवाई निरीक्षण करने के बाद राजी चौराहा पर आयोजित बाढ़ प्रभावित गांवों के नागरिकों की एक जनसभा में योगी ने उन्हें हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया.
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