नई दिल्लीः Corona महामारी की दूसरी लहर की मार भारत बुरी तरह झेल रहा है. लगातार बढ़ते मामलों के बीच तीसरी लहर की चिंता भी सताने लगी है.


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केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने इस बारे में चेताया है कि कोरोना की तीसरी लहर भी जरूर आएगी. हमें उसके लिए तैयार रहना होगा. राघवन की इस चेतावनी के बाद भारतीयों में कई चिंताएं घर करने लगी है. 


क्या सितंबर में ही तीसरी लहर का सामना करना पड़ेगा?
सबसे बड़ी चिंता है कि यह तीसरी लहर कब तक आएगी. इसका पीक कब तक और किस स्तर का होगा. इसके साथ ही किस आयु वर्ग के लोगों को यह अधिक प्रभावित करेगा. अभी के मुकाबले तीसरी लहर का म्यूटेशन कितना खतरनाक होगा यह भी बड़ी चिंता का विषय है. 



के. विजय राघवन के मुताबिक तीसरी लहर कब तक आएगी यह स्पष्ट नहीं कह सकते, लेकिन आएगी जरूर और मौजूदा स्थिति को देखते हुए इसके लिए और भी तैयार रहना होगा. हालांकि एक आशंका है तीसरी लहर सितंबर से ही अपना असर दिखाना शुरू कर सकती है. 


क्या आठ गुना अधिक तेजी से हमला करेगी तीसरी लहर?
Corona की तीसरी लहर को लेकर सिर्फ अनुमान ही हैं, लेकिन आपदा की स्थिति को भांपते हुए वैज्ञानिक और शोधकर्ता इसकी भयावहता को जांचने में जुट गए है. भारत में कोरोना की पहली लहर से दूसरी लहर पांच गुना अधिक घातक है.



जैसे ही स्वस्थ व्यक्ति कोरोना संक्रमित के संपर्क में आ रहा है, उसे 2 से 3 दिन में ही कोरोना वायरस बुरी तरह संक्रमित कर रहा है. इसका आकलन पहली लहर की तुलना में बेहद डरावना है. पहली लहर में संक्रमण होने में 7 से 8 दिन का समय लगता था. 


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पाकिस्तान में अप्रैल में बढ़े 8 गुना एक्टिव केस
भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान इस समय ही तीसरी लहर से जूझ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक मार्च के पहले सप्ताह में पाकिस्तान में कोरोना के 16,000 ऐक्टिव मामले थे लेकिन अप्रैल में ऐक्टिव मामले आठ गुना से अधिक हो गए. पहली और दूसरी लहर में भी कोरोना से त्रस्त पाकिस्तान इतना परेशान नहीं हुआ था, लेकिन तीसरी लहर में पाकिस्तानी नागरिकों में असहाय जैसी स्थिति है. 



वहीं भारत दूसरी लहर में बुरी तरह से जूझ रहा है. दूसरी लहर में फेफड़े तक संक्रमण 2-3 दिन में हो रहा है. पहली लहर में संक्रमण होने पर निमोनिया की शिकायत होती थी, लेकिन दूसरी लहर में फेफड़े 70 फीसदी संक्रमण हो रहे हैं.


ये खुलासा बेहद चौंकाने वाला है, क्योंकि अब सावधानी न बरती गई, तो फिर हालात और भी ज्यादा विस्फोटक हो सकते हैं. विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं क्या तीसरी लहर संक्रमण होते ही फेफड़ों को प्रभावित करेगी. साथ ही अन्य अंगों पर किस तरह असर होगा, यह भी शोध का विषय है. 


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क्या बच्चों को अधिक चपेट में लेगी तीसरी लहर?
भारत में पहली लहर में बुजुर्गों पर अधिक तेजी से संक्रमण का असर हुआ. युवा वर्ग संक्रमित हुए लेकिन मौतों का आंकड़ा कम रहा. इसके साथ ही उन पर संक्रमण का प्रभाव खतरनाक स्तर पर नहीं देखा गया. दूसरी लहर में इस बार युवा भी बुरी तरह संक्रमित हो रहे हैं और फेफड़ों में तेजी से फैलने वाले संक्रमण के कारण ऑक्सीजन स्तर तुरंत ही कम होता देखा जा रहा है.



तीसरी लहर में आशंका जताई जा रही है कि यह बच्चों के लिए तेजी से जानलेवा साबित हो सकती है. ऐसा दुनिया के दूसरे देशों में देखा गया है. 


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