नई दिल्ली: काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद केस में कोर्ट ने अहम फैसला सुना दिया है. अदालत ने पुरातात्विक सर्वेक्षण का फैसला सुनाया है. ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण होगा, जिसका खर्च सरकार को उठाने का आदेश दिया गया है.


मस्जिद परिसर का होगा पुरातात्विक सर्वेक्षण


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ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातत्विक सर्वेक्षण को अदालत ने मंजूरी दे दी है. राज्य सरकार सर्वेक्षण का खर्च उठाएगी. मंदिर पक्ष के पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी की कोर्ट ने अर्जी स्वीकार करते हुए पुरातात्विक सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी गयी है. दिसंबर 2019 में अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज की अदालत में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से एक आवेदन दायर किया था.


सरकार उठाएगी सर्वेक्षण का खर्चा


कोर्ट की तरफ से सर्वेक्षण का खर्चा केंद्र सरकार और राज्य सरकार अपने पुरातात्विक विभाग के द्वारा कराकर कोर्ट में सर्वेक्षण की आख्या पेश करने का निर्देश दिया गया है. 10 दिसंबर 2019 से पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने को लेकर बहस चल रहा था. काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले का पुरातात्विक सर्वेक्षण को आज वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज आशुतोष तिवारी ने फैसला सुनाया है.


गौरतलब है कि 10-12-2019 से पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने को लेकर वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट में मंदिर पक्ष और मस्जिद पक्ष की तरफ से बहस चल रही थी, जिसमें गुरुवार को कोर्ट ने फैसला सुनकर मंदिर पक्ष को राहत देने का काम किया है. मंदिर पक्ष के पक्षकार ने कोर्ट को धन्यवाद देते हुए इस फैसले को बड़ी जीत बताई है.


स्वामी चक्रपाणि महाराज का विवादित बयान


अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने इस फैसले पर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि 'काशी ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पुरातत्व सर्वे को स्थानीय अदालत द्वारा मंजूरी देना स्वागत योग्य अब मिलेगा हिंदुओं को न्याय ज्ञानवापी मस्जिद देश के लिए कलंक है.'


वर्ष 1998 की अहमियत समझिए


काशी विश्वनाथ मंदिर के कानूनी विवाद में 1998 का साल सबसे महत्वपूर्ण है. इसी साल में वाराणसी की कोर्ट ने एक फैसला दिया, जिसमें कहा गया कि विवाद को सुलझाने के लिए पहले ये तय करना जरूरी है कि विवादित स्थल का धार्मिक स्वरूप क्या है? क्योंकि 1991 में बने Places of Worship Act यानी उपासना स्थल कानून के अनुसार देश में धार्मिक स्थलों पर 15 अगस्त 1947 के दिन की यथास्थिति लागू है. सिर्फ अयोध्या को इसका अपवाद माना गया था.


वाराणसी जिला कोर्ट के जज चाहते थे कि पहले तय हो कि आजादी के दिन विवादित स्थल पर मंदिर था या मस्जिद, कोर्ट ने ये भी माना कि काशी विश्वनाथ मंदिर का प्राचीन इतिहास है और ये मामला जनता की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है. इसलिए मेरिट के आधार पर इस विवाद का अंतिम हल जल्द से जल्द निकाला जाना चाहिए.


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हिंदू पक्ष को इस फैसले से कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि उनका दावा है कि ज्ञानवापी परिसर का धार्मिक स्वरूप कभी नहीं बदला और वो 15 अगस्त 1947 के दिन भी मंदिर ही था, प्राचीन शिवलिंग वहीं पर मौजूद है. लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी. जिस पर उन्हें स्टे ऑर्डर मिल गया.


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