लखनऊ: यूपी में कोरोना कहर बरपा रहा हैं. राज्य के तमाम जिले हॉटस्पॉटबने हुए हैं. सिर्फ राजधानी लखनऊ में पिछले हफ्ते जहां औसतन 4000 का आंकड़ा था, वो बढ़कर 15000 हो गया है. तमाम अधिकारी समेत मंत्री कोरोना की चपेट में आए हैं.


यूपी के श्मशान में लंबी कतारें


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राज्य का आलम यह है कि आईसीयू से लेकर वॉर्ड तक भरे हुए हैं अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह नहीं है. वहीं श्मशान भूमि में भी लम्बी कतारें लगी हैं. पिछले 1 सप्ताह में 204 प्रतिशत तक बढ़ी है. एक दिन में 18021 नए केस आए, जो प्रदेश में अभी तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. 24 घंटों में 85 कोविड मरीजों की मौत हो गई.


यदि दो हफ्ते पहले की तुलना में देखे तो ये वाकई डराने वाला है. 1 अप्रैल को 24 घंटों के में 2600 नए मरीजों में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई और सबसे ज्यादा 935 नए मामले राजधानी लखनऊ में मिले थे. 2 मार्च को 2967 नए मरीज मिले, 3 मार्च को यह आंकड़ा तीन हजार पार कर गया था. इससे समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश की हालत कितनी खराब है. यहां रोजाना आने वाले केस में 2 हफ्ते में 2600 से 18 हजार के पार पहुंच चुके हैं.


प्रोफेसर सूर्यकांत, KGMU, ब्रांड एंबेसडर कोविड 19 टीकाकरण, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, यूपी ने ज़ी हिन्दुस्तान से खास बातचीत करते हुए कहा कि 'देखिए सच्चाई तो ये है कि यूपी इस वक्त देश के उन अव्वल राज्य में हैं, जहां कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. कोरोना इन्फेक्शन के मामले में यूपी ने अब महाराष्ट्र को पीछे छोड़ दिया है.


दो हफ्ते पहले उत्तर प्रदेश में मामले दो से तीन हजार केस रोजाना आ रहे थे, जो अब 18 हजार के पार पहुंच गया है. इससे आप राज्य में कोरोना के ग्राफ का अंदाजा लगा सकते हैं.'


यूपी में नही हो रही ठीक टेस्टिंग 


प्रोफेसर सूर्यकांत ने ये भी कहा कि यूपी में अभी टेस्टिंग बहुत कम हैं हालांकि मुख्यमंत्री ने बढ़ाने की बात कही हैं, लेकिन अगर आज टेस्टिंग ठीक से हो तो मेरे अनुसार 45000 मामले प्रतिदिन आएंगे. यूपी की जनसंख्या ज्यादा हैं, लिहाजा वायरस को स्प्रेड होने का जितना अवसर मिल रहा है वो स्प्रेड हो रहा है.


महाराष्ट्र की तरह यूपी में लगे लॉकडाउन


उन्होंने अपील करते हुए कहा कि सिर्फ नाइट कर्फ्यू से 10-15 फीसदी ही फायदा होगा, उससे ज्यादा नहीं. अगर सही मायने में यूपी में कंट्रोल चाहिए तो यहां सातों दिन महीने भर लॉकडाउन लगाना होगा. वीकेंड लॉकडाउन के साथ साथ धारा 144 लगानी होगी, तब जाकर कोरोना के बढ़ते मामलों में कुछ कंट्रोल हो पाएगा.


मंत्री, नेता सभी को कोरोना ने बनाया शिकार


यूपी में कोरोना संक्रमित अधिकारियों की लंबी फेहरिस्त हैं और ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना का पहला स्ट्रेन इतना घातक नहीं था. पहले स्ट्रेन में मृत्यु दर ज्यादा थी, इस बार दूसरे स्ट्रेन में इन्फेक्शन ज्यादा है और स्प्रेड भी लिहाजा इस बार इसकी चपेट में लोग तेजी से आ रहे हैं.


यूपी में संक्रमित अधिकारियो की सूची 


खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. उनके अलावा वित्त सचिव संजय कुमार और विशेष सचिव समेत वित्त विभाग के करीब 20 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं. राजस्व परिषद के अध्यक्ष दीपक त्रिवेदी, कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीना, नगर विकास के एसीएस डॉ. रजनीश दुबे, सीएम ऑफिस के प्रमुख सचिव एसपी गोयल, श्रम विभाग के अपर मुख्य सचिव सुरेश चंद्रा, उच्च शिक्षा विभाग की एसीएस आराधना शुक्ला, खाद्य एवं रसद नागरिक आपूर्ति विभाग की प्रमुख सचिव वीणा कुमारी, सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव अनिल गर्ग और विशेष सचिव प्रशांत शर्मा, मुख्य सचिव के स्टाफ अफसर अमृत त्रिपाठी और हमीरपुर समेत तीन जिलों के डीएम कोरोना पॉजिटिव आए हैं.


दूसरे स्ट्रेन की भयावहता R फैक्टर से समझिए


प्रोफेसर सूर्यकांत बताते हैं कि R फैक्टर हैं, वायरस की पुनरुत्पादन फैक्टर (Reproduction Factor) पूरे देश में वाइरस की R फैक्टर 1.32 हैं, जबकि यूपी में 2.14 R फैक्टर हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि यूपी में इस वायरस का फैलाव कितना ज्यादा है. जबकि ये आंकड़े R फैक्टर के महाराष्ट्र को पीछे छोड़ चुके हैं.


अब कोरोना ने जो वापसी की है उसकी वजह से कई रिपोर्ट्स का मानना है कि कोरोना के फैलने का रेट पिछले साल मार्च-अप्रैल के बाद से ज्यादा बड़े लेवल तक पहुंच गया है. इसे साइंस की टर्म में R नॉट और R फैक्टर भी कहते हैं. आसान भाषा में समझे तो R नॉट से ये पता चलता है कि एक संक्रमित इंसान कितने स्वस्थ लोगों को कोरोना से संक्रमित कर सकता है.


आर फैक्टर 2.0 तक पहुंच जाने का मतलब है, कोरोना संक्रमित एक इंसान औसतन, दो अन्य शख्स को संक्रमित करता है. उन दोनों शख्स से चार लोगों को संक्रमित करता है. कोरोना वायरस चार लोगों तक औसतन फैलता है.


किसी भी स्थिति में आर फैक्टर 2.0 से नीचे रहना चाहिए. तभी कोरोना की चेन को तोड़कर कंट्रोल किया जा सकता है. भारत में नवंबर 2020 के बाद से R फैक्टर लगातार कई हफ्तों तक 1.0 से नीचे रहा था. उस वक्त कोरोना के मामले कम थे, लेकिन अब कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण आर फैक्टर यानी आरनॉट को बढ़ा दिया है और यूपी तेजी से इसपर आगे बढ़ रहा हैं.


20-25 अप्रैल तक रहेगी गंभीर स्थिति


कोरोना गणितीय दृष्टिकोण पर आईआईटी के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने ज़ी हिन्दुस्तान से बात करते हुए बताया कि अप्रैल अंत तक मामले कम होने लगेंगे. आईआईटी के एक्स्पर्ट बताते हैं ग्राफ के माध्यम से की आने वाले 20-25 अप्रैल तक स्थिति गंभीर रहेगी उसके बाद कोरोना के मामलों में कमी आएगी.



प्रोफेसर बताते हैं अभी यह स्ट्रेन तेजी से सभी को संक्रमित कर रहा है, एक समय आएगा जिसे पॉइंट ब्रेकर कहा गया है. यानी जब अधिकांश लोग संक्रमित हो चुके होंगे और संक्रमित ना हुए लोगों की संख्या बेहद कम होगी. जब वायरस को फैलने के लिए और म्यूटेट करने के लिए कोई नई बॉडी नहीं मिलेगी, तब संक्रमण का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगेगा. क्योंकि अधिकांश लोगों संक्रमित हो चुके होंगे और उन्मे एंटीबॉडी भी बन चुकी होगी.


यूपी के सारे जिलों में से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला लखनऊ हैं और साथ ही युवाओं में इसका खतरा इसलिए भी ज्यादा हैं, क्योंकि सबसे ज्यादा युवा वर्ग है जो पार्टी करता हैं. बाहर घूम रहा हैं लिहाजा ये नाइट कर्फ्यू के पीछे मंशा युवाओं को ही बाहर जाने से रोकने की थी. क्योंकि इस वर्ग के लिए अभी वैक्सीन की उपलब्धता भी नहीं हैं.


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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में कोरोना (Corona) की बढ़ती रफ्तार वाकई डरावने हैं. जहां मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश के कई बड़े अधिकारी को कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया है.


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