नई दिल्ली: राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को दर्जी कन्हैया लाल की भीषण हत्या ने देश को झकझोर कर रख दिया है. हत्या में संलिप्त गौस मोहम्मद और रियाज ने कन्हैया लाल को कथित तौर पर भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा का समर्थन करने के लिए सिर काट दिया, जिन्होंने पैगंबर मोहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी.


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राजस्थान में हैं तनावपूर्ण हालात
क्रूर हत्या ने राज्य में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर दिया. तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए राजस्थान प्रशासन ने पूरे राज्य में धारा 144 लागू कर दिया, साथ ही उदयपुर के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया और जिले भर में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया.


कन्हैया की निर्मम हत्या को माना जा रहा आतंकी कृत्य
कन्हैया लाल की निर्मम हत्या को आतंक का कृत्य माना जा रहा है. केंद्र ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से इस घिनौने कृत्य की जांच करने को कहा है.
कन्हैया लाल की हत्या और उसके बाद उदयपुर में सांप्रदायिक तनाव हिंसक सांप्रदायिक घटनाओं की एक ताजा घटना है, जिसने राज्य को हिलाकर रख दिया है. पिछले कुछ महीनों में जोधपुर, करौली और अलवर से भी सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं.


सीवोटर इंडिया ट्रैकर ने किया सर्वे
सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने उदयपुर में भयानक हत्या और राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की पिछली घटनाओं के मद्देनजर राजस्थान में कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में लोगों की राय जानने के लिए आईएएनएस के लिए एक देशव्यापी सर्वे किया.


65% लोग बोले- कानून व्यवस्था में विफल है सरकार
सर्वे से पता चला कि अधिकांश भारतीयों का मानना है कि राजस्थान सरकार राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही है. सर्वे के दौरान, जहां 65 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि अशोक गहलोत सरकार कानून और व्यवस्था के मोर्चे पर विफल रही है, वहीं 35 प्रतिशत इस भावना से सहमत नहीं थे.


अगले साल होना है मतदान
दिलचस्प बात यह है कि सर्वेक्षण के दौरान, जबकि एनडीए के अधिकांश मतदाताओं - 77 प्रतिशत ने कहा कि राजस्थान सरकार कानून और व्यवस्था को बनाए रखने में विफल रही है, यहां तक कि विपक्षी समर्थकों के 53 प्रतिशत समर्थकों ने भी इसी तरह के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए. इन निष्कर्षों से राज्य में सत्तारूढ़ सरकार को चिंता होनी चाहिए, जहां अगले साल मतदान होना है.


सर्वे के दौरान, अधिकांश शहरी और ग्रामीण मतदाताओं ने कहा कि राजस्थान सरकार राज्य में कानून और स्थिति पर अपनी पकड़ खोती जा रही है. सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक 65 फीसदी शहरी और 65 फीसदी ग्रामीण मतदाताओं का मानना है कि गहलोत सरकार मोर्चे पर विफल रही है.


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