नई दिल्ली: गलवान घाटी में धोखेबाजी करने वाले चीन (China) को सबक सिखाने के लिए भारत हर स्तर पर तैयार है. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर अतिरिक्त जवानों की तैनाती से लेकर हिंद महासागर में नौसेना के बेड़े को बढ़ाने तक, जल-थल और नभ में भारत ने जिस तरह अपनी शक्ति को स्थापित किया है. उससे पार पाना भी चीन के लिए बिल्कुल आसान नहीं होगा. इस समय हर मोर्चे पर भारतीय सेना (Indian Army) चीन के सामने डटी हुई है. चीन के चालबाज चरित्र को समझते हुए भारत चौकन्ना और सरहद से जुड़े हर मोर्चे पर मुस्तैद भी है.


अब 'पिनाका' से प्रहार की बारी


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एलएसी पर चीन के खिलाफ की गई अपनी तैयारियों को और पुख्ता करने के लिए और धार देने के लिए भारत ने एक और बड़ा कदम उठाया है. भारत-चीन सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच अपनी सैन्य ताकत को और ज्यादा मजबूत करने के के लिए रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने टाटा पॉवर और एल एंड टी के साथ पिनाका रॉकेट लॉन्चर (Pinaka Rocket Launcher) के लिए बड़ी डील की है.


2580 करोड़ रुपए की डील


टाटा पॉवर और एल एंड टी के साथ BEML भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा होगी और रॉकेट लॉन्चर के लिए व्हीकल सप्लाई करेगी, जिस पर रॉकेट लॉन्चर को रखा जाएगा. डिफेंस मिनिस्ट्री ने 6 रेजीमेंट के लिए 2580 करोड़ रुपए की लागत से पिनाका रॉकेट लॉन्चर खरीदने के लिए सोमवार को ये करार किया. पिनाका रेजीमेंट (Pinaka Regiment) को सैन्य बलों की संचालन तैयारियां मजबूत बनाने के लिए चीन-पाकिस्तान (China-Pakistan) के साथ लगती भारतीय सीमा पर तैनात किया जाएगा.


मिसाइल सिस्टम को डीआरडीओ (DRDO) ने विकसित किया है. पहाड़ी इलाकों में युद्ध के दौरान जब छिपे दुश्मनों पर वार करने की जरूरत हो तो पिनाका मिसाइल सिस्टम बेहद कारगर हथियार साबित होता है. इससे निकले रॉकेट दुश्मनों पर मौत बनकर बरसते हैं. इसका नया अवतार तो पहले से भी खतरनाक बन गया है. 19 दिसंबर 2019 को ओडिशा के तट पर चांदीपुर रेंज से इस सिस्टम का सफल परीक्षण किया गया था.


धरी रह जाएगी चीन की तैयारी


पिनका के पुराने रॉकेट अनगाइडेड थे यानी एक बार छोड़े जाने के बाद वो पूर्व निर्धारित लोकेशन पर जाकर गिरते थे. नए पिनाका (Pinaka) से अब गाइडेड रॉकेट छोड़े जा सकते हैं. जो पहले के मुकाबले ज्यादा सटीक हैं. डीआरडीओ सूत्रों का कहना है कि टाट्रा ट्रक पर स्थापित किए गए पिनाका वेपन सिस्टम के अपग्रेडेड वर्जन में स्पेशल गाइडेंस किट लगाई गई हैं. जो एडवांस नेवीगेशन और कंट्रोल सिस्टम से लैस है. इसका नेवीगेशन इंडियन रीजनल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम के जरिए किया जाता है, जिसे नाविक भी कहा जाता है. इस बदलाव के बाद पिनाका की मारक दूरी, क्षमता और लक्ष्य को भेदने की सटीकता काफी बढ़ गई है.


युद्ध क्षेत्र में पिनाका की एंट्री दुश्मनों के लिए जंग हारने के बराबर मानी जाती है. पिनाका को सैनिकों, कम्युनिकेशन, तोपखाने या फिर दुश्मनों के लिए बारूदी सुरंग बिछाने के भी काम में लाया जा सकता है.


करगिल में दिखा था पिनाका का दम


करगिल की जंग में पिनाका का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया था, लेकिन अब इसका निशाना अचूक बनने के बाद इसका इस्तेमाल सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक में भी किया जा सकता है.


पिनाका की एक बैटरी में 6 लॉन्चर होते हैं और हर एक लॉन्चर व्हीकल में 12 रॉकेट लगे होते हैं. पिनाका के 12 रॉकेट्स में एक टन से ज्यादा विस्फोटक होता है. ये रॉकेट तीन स्क्वायर किलोमीटर के एरिया में तबाही मचा सकते हैं. पिनाका का एक लॉन्चर 44 सेकेंड में 12 रॉकेट के हमले से दुश्मन के खेमे में खलबली मचा सकता है. अगर इन 6 लॉन्चरों को दुश्मन के ठिकाने पर राकेट बरसाने का आदेश दिया जाए तो सिर्फ 44 सेकेंड में 72 राकेट दागे जा सकते हैं.


पिनाका मिसाइल सिस्टम (Pinaka Missiles) से लैस पिनाका रेजिमेंट का संचालन 2024 तक शुरू करने की योजना है. इस रेजिमेंट की तैनाती के बाद एलएसी पर चीन को किसी भी तरह की साजिश रचने से पहले सौ बार सोचना होगा.


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