नई दिल्ली: दिल्ली में अस्पतालों में हो रही ऑक्सीजन की कमी को लेकर मैक्स अस्पताल ने बुधवार शाम दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. मैक्स अस्पताल ने कहा कि  उनके सेंटर पर केवल 2 से 3 घंटे की ऑक्सीजन ही बची है. याचिका पर तत्काल सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि मामला बेहद गम्भीर है. आज मैक्स अस्पताल आया है कल और लोग आएंगे. 


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कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा, अगर इंडस्ट्री को ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है तो तुरंत रोक दिया जाए. केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान कहा,ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली तमाम कंपनियां 100 फीसदी ऑक्सीजन की सप्लाई कर रही हैं. केंद्र सरकार 24 घंटे ऑक्सीजन की सप्लाई पर नजर बनाए हुए है.


कोर्ट ने इसके बाद कहा, 'INOX से हो रही सप्लाई दिल्ली की मांग के लिहाज से पर्याप्त नहीं है. कोविड मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध हो, ये केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है. जैसे भी हो ऑक्सीजन की सप्लाई केंद्र सरकार सुनिश्चित करे.


सरकार नहीं कर रही है सही तरह से काम 
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जिस तरह केंद्र सरकार को ऑक्सीजन की सप्लाई पर काम करना चाहिए वह काम नहीं कर रही है. हाईकोर्ट ने कहा था कि तमाम इंडस्ट्री को ऑक्सीजन की सप्लाई ना की जाए, बावजूद इसके सरकार हमारे आदेश को लेकर गंभीर नहीं है.


जमीनी हकीकत से मुंह नहीं मोड़ सकती सरकार
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ये कहा, नासिक में कई लोगों की जान ऑक्सीजन की जान चली गई. सरकार जमीनी हकीकत से मुंह कैसे मोड़ सकती है. हम लोगों को मरने नहीं दे सकते. कल(मंगलवार) को हमें बताया गया था कि बाहर से ऑक्सीजन मंगाई जा रही है तो उसका क्या हुआ. 


मैक्स अस्पताल को तत्काल उपलब्ध कराई जाए ऑक्सीजन
कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश जारी करते हुए कहा, मैक्स अस्पताल को तत्काल ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाए. दिल्ली में स्थित 6 मैक्स अस्पतालों में 1400 मरीज ऑक्सीजन पर निर्भर हैं. कोर्ट के सामने ये बात भी आई कि मैक्स पटपड़गंज के लिए 2 हजार घनमीटर ऑक्सीजन भेजी गई है जो रास्ते में है. 


लगता है सरकार के लिए इंसानी जिंदगी महत्वपूर्ण नहीं 
ऑक्सीजन की कमी के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा- 'एक-दो हफ्ते के लिए अगर स्टील इंडस्ट्री को ऑक्सीजन नहीं मिलेगी तो वह आगे चल सकती हैं लेकिन अगर इंसान को ऑक्सीजन नहीं मिली तो वह आगे नहीं बढ़ सकता. ऐसा लगता है कि सरकार के लिए इंसानी जिंदगी महत्वपूर्ण नहीं है.'


मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिली तो टूट पड़ेगा आसमान
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर टाटा अपने स्टील प्लांट की ऑक्सीजन लोगों के लिए उपलब्ध करवा सकती है तो बाकी स्टील प्लांट क्यों नहीं? यह तो लालच की हद है. हाईकोर्ट ने भी कहा कि अगर स्टील प्लांट द्वारा उत्पादित ऑक्सीजन सरकार ले लेगी तो इससे स्टील प्लांट बंद नहीं हो जाएंगे, हो सकता है कि एक-दो हफ्ते के लिए काम में बाधा पड़े लेकिन उससे कोई आसमान नहीं टूटेगा, लेकिन वह ऑक्सीजन मरीजों को नहीं मिली तो आसमान जरूर टूट पड़ेगा.


 


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