भगवान शिव हैं SC/ST, कोई भी देवता ब्राह्मण नहीं, JNU की VC का विवादित बयान
जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने सोमवार को हिंदू भगवानों के बारे में बयान देते हुए कहा कि, ‘मानव-विज्ञान की दृष्टि से’ देवता उच्च जाति से नहीं हैं और यहां तक कि भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं.
नई दिल्ली: देश में चल रहे विवादित धार्मिक बयानों के बीच अब देश की राजधानी में स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) की वाइस चांसलर शांतिश्री धुलिपुड़ी ने हिंदू भगवानों के संदर्भ में एक ऐसा बयान दिया है, जिसे लेकर विवाद बढ़ने की आशंका है.
क्या कहा JNU की वीसी ने
जवाहरलाल नेहरु (जेएनयू) यूनिवर्लिटी की वाइस चांसलर शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने सोमवार को हिंदू भगवानों के बारे में बयान देते हुए कहा कि, ‘मानव-विज्ञान की दृष्टि से’ देवता उच्च जाति से नहीं हैं और यहां तक कि भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं.
जातीय हिंसा के बाद दिया बयान
दरअसल, 9 साल के एक लड़के के साथ जातीय हिंसा के बाद जेएनयू वीसी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए देवताओं की जाति को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा, "अधिकांश देवताओं की उत्पत्ति को मानवशास्त्रीय (एंथ्रोपोलॉजी) रूप से जानना चाहिए. कोई भी देवता ब्राह्मण नहीं हैं, न सबसे ऊंचे क्षत्रिय हैं. भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होने चाहिए क्योंकि वह एक सांप के साथ एक श्मशान में बैठते हैं और उनके पास पहनने के लिए बहुत कम कपड़े हैं. मुझे नहीं लगता कि ब्राह्मण श्मशान में बैठ सकते हैं."
देवियों को लेकर भी दिया बयान
जेएनयू की वीसी ने देवताओं के साथ साथ देवियों को लेकर भी बयान दिया है. उन्होंने कहा, लक्ष्मी, शक्ति, या यहां तक कि जगन्नाथ सहित देवता ‘मानव विज्ञान की दृष्टि से’ उच्च जाति से नहीं हैं. वास्तव में, जगन्नाथ आदिवासी मूल के हैं. हम अभी भी इस भेदभाव को क्यों जारी रखे हुए हैं जो बहुत ही अमानवीय है. यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम बाबा साहेब के विचारों पर फिर से सोच रहे हैं. हमारे यहां आधुनिक भारत का कोई नेता नहीं है जो इतना महान विचारक था."
भगवानों के साथ साथ हिंदू धर्म पर भी बयान देते हुए उन्होंने कहा कि, हिंदू कोई धर्म नहीं है, यह जीवन जीने की एक पद्धति है और यदि यह जीवन जीने का तरीका है तो हम आलोचना से क्यों डरते हैं. गौतम बुद्ध हमारे समाज में अंतर्निहित, संरचित भेदभाव पर हमें जगाने वाले पहले लोगों में से एक थे.
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