नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप तय किये जाने को चुनौती देने वाली उनकी याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी. न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने कहा, ‘याचिका और इसके साथ दायर की गई अर्जियां खारिज की जाती हैं.'


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न्यायाधीश ने हुसैन की याचिका पर आदेश 15 नवंबर को सुरक्षित रख लिया था. याचिका में, निचली अदालत के तीन नवंबर के आदेश को चुनौती दी गई थी. उस आदेश में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धारा तीन (धन शोधन का अपराध) और धारा चार (धन शोधन के अपराध के लिए सजा) के तहत कथित अपराधों को लेकर उनके खिलाफ आरोप तय किये गये हैं.


क्या है ताहिर हुसैन का तर्क?
हुसैन ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी कि मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत उनके खिलाफ आरोप तय किये जाने को न्यायोचित ठहराने वाली कोई संपत्ति या अपराध से हुई आय उनके पास से जब्त नहीं की गई है. वहीं, ईडी ने दलील दी थी कि हुसैन अपराध से हुई आय का इस्तेमाल कर दंगों के लिए धन मुहैया करने की साजिश का हिस्सा थे.


निचली अदालत ने क्या कहा था?
निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि प्रथम दृष्टया हुसैन मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्त रहे हैं और अपराध से हुई आय का इस्तेमाल दंगों में किया गया था. दिल्ली पुलिस ने दंगों के सिलसिले में हुसैन और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत तीन प्राथमिकियां दर्ज की थी. प्राथमिकियों के आधार पर जांच शुरू की गई और ईडी ने नौ मार्च 2020 को ‘प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट’ (ईसीआईआर) दर्ज की थी.


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