मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ वर्ष 2018 की कथित अपमानजनक टिप्पणी से संबंधित मानहानि की एक शिकायत के सिलसिले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को एक स्थानीय अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने से मिली अंतरिम राहत की अवधि बुधवार को 26 सितंबर तक बढ़ा दी. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे के संदर्भ में गांधी की ‘कमांडर-इन-थीफ’ (चोरों के सरदार) संबंधी टिप्पणी मानहानि के समान है.


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न्यायमूर्ति एस. वी. कोतवाल की एकल पीठ ने 2021 में स्थानीय अदालत द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती देने वाली गांधी की याचिका पर सुनवाई 26 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी. न्यायमूर्ति कोतवाल ने कहा, ‘पहले दी गई अंतरिम राहत तब तक जारी रहेगी.’ शिकायतकर्ता के वकील द्वारा समय मांगे जाने के बाद गांधी की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी गई.


महेश श्रीमल ने दायर की है याचिका
स्थानीय अदालत ने महेश श्रीमल की ओर से दायर मानहानि की एक शिकायत पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को पेश होने का निर्देश दिया था. राफेल लड़ाकू विमान सौदे के संदर्भ में 2018 में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ गांधी की ‘कमांडर-इन-थीफ’ टिप्पणी के लिए कांग्रेस नेता के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज की गई थी. इसके बाद गांधी ने अपने खिलाफ जारी समन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद अदालत ने नवंबर 2021 में मजिस्ट्रेट को मानहानि की शिकायत पर सुनवाई टालने का निर्देश दिया था, जिसका अर्थ था कि कांग्रेस नेता को मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने की आवश्यकता नहीं होगी.


उसके बाद से गांधी की याचिका पर सुनवाई समय-समय पर स्थगित होती रही और उन्हें दी गई अंतरिम राहत की अवधि भी बढ़ाई जाती रही है. मजिस्ट्रेट ने अगस्त 2019 में गांधी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू की थी. हालांकि, कांग्रेस नेता ने हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में दावा किया था कि उन्हें इसके बारे में जुलाई 2021 में पता चला.


गांधी ने वकील ने क्या कहा था
शिकायतकर्ता का आरोप था कि सितंबर, 2018 में गांधी ने राजस्थान में एक रैली की थी और इस दौरान उन्होंने मोदी के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए थे. गांधी ने वकील कुशल मोर के जरिये दायर अपनी याचिका में कहा था कि यह शिकायत शिकायतकर्ता के गुप्त राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के एकमात्र उद्देश्य से प्रेरित तुच्छ और निरर्थक मुकदमेबाजी का एक उदाहरण है. कांग्रेस नेता ने याचिका पर सुनवाई होने तक मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने और कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध किया था.


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