नई दिल्ली: चुनाव आयोग (Election Commission) को पिछले कुछ वर्षों में चुनावों के दौरान विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Social Media Platform) पर 'अभद्र भाषा' के खिलाफ कुल 130 शिकायतें मिली हैं.


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पोल पैनल के आंकड़ों से ये बात आई सामने


पोल पैनल के आंकड़ों से पता चला है कि 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अभद्र भाषा के संबंध में अधिकतम (59) शिकायतें प्राप्त हुई थीं. इसके बाद, 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान कुल 34 ऐसे मामले सामने आए.


2021 में, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी विधानसभा चुनावों के दौरान आयोग को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अभद्र भाषा के कुल 29 मामले दर्ज किए गए. इसी तरह, गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के 2022 के विधानसभा चुनावों में ऐसे कुल आठ मामले दर्ज किए गए.


इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के संरक्षण में सभी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक साथ आए और आम चुनाव 2019 के लिए स्वैच्छिक आचार संहिता पर पारस्परिक रूप से सहमत हुए.


अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रतिबद्ध


लोकसभा चुनाव 2019 के बाद से और उसके बाद होने वाले सभी विधानसभा चुनावों के लिए कोड, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के स्वतंत्र, निष्पक्ष और नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करने और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने के लिए विकसित किया गया है. मध्यस्थ मंच भी मतदाता शिक्षा और जागरूकता के लिए अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.


चुनाव आयोग, 'स्वैच्छिक आचार संहिता' के अनुसरण में, चुनाव के दौरान एमसीसी, आरपीए, आईपीसी और अन्य चुनावी कानूनों के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार आपत्तिजनक पाई गई सामग्री (लिंक, वीडियो, पोस्ट, ट्वीट) को हटाने के लिए कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को निर्देश देता रहा है.


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