गडकरी ने बताया, चुनावी बॉन्ड योजना लाने के पीछे क्या थी सरकार की मंशा, बोले- बगैर पैसे नहीं चल सकती हैं पार्टियां
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि बिना धन के राजनीतिक दल को चलाना संभव नहीं है और केंद्र ने चुनावी बॉन्ड योजना ‘अच्छे इरादे’ से शुरू की गई थी. केंद्र सरकार की ओर से 2017 में लाई गई इस योजना को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया है.
नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि बिना धन के राजनीतिक दल को चलाना संभव नहीं है और केंद्र ने चुनावी बॉन्ड योजना ‘अच्छे इरादे’ से शुरू की गई थी. केंद्र सरकार की ओर से 2017 में लाई गई इस योजना को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया है.
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर और कोई निर्देश देता है तो सभी राजनीतिक दलों को एक साथ बैठने और इस पर विचार-विमर्श करने की जरूरत है. उन्होंने शुक्रवार को गांधीनगर के समीप गिफ्ट सिटी में एक मीडिया संगठन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में ये टिप्पणियां कीं.
संसाधनों के बगैर नहीं चल सकती है पार्टी
गडकरी ने चुनावी बॉन्ड के बारे में एक सवाल पर कहा, ‘जब अरुण जेटली केंद्रीय वित्त मंत्री थे तो मैं चुनावी बॉन्ड से जुड़ी बातचीत का हिस्सा था. कोई भी पार्टी संसाधनों के बगैर नहीं चल सकती है. कुछ देशों में सरकारें राजनीतिक दलों को चंदा देती है. भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए हमने राजनीतिक दलों के वित्त पोषण की इस व्यवस्था को चुना.’
‘इसका उद्देश्य था कि पार्टियों को सीधा चंदा मिले’
उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड लाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य यह था कि राजनीतिक दलों को सीधे चंदा मिले लेकिन दानदाताओं के नामों का खुलासा न किया जाए क्योंकि ‘अगर सत्तारूढ़ दल बदलता है तो समस्याएं पैदा होंगी.’ सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि जैसे कि किसी मीडिया हाउस को एक कार्यक्रम के वित्त पोषण के लिए प्रायोजक की आवश्यकता होती है, उसी तरह राजनीतिक दलों को भी धन की जरूरत होती है.
गडकरी ने पूछा- पार्टियां चुनावी कैसे लड़ेंगी?
गडकरी ने कहा, ‘आपको जमीनी हकीकत देखने की जरूरत है. पार्टियां चुनावी कैसे लड़ेंगी? हम पारदर्शिता लाने के लिए चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था लेकर आए थे. जब हम चुनावी बॉन्ड लाए थे तो हमारा इरादा अच्छा था. अगर सुप्रीम कोर्ट को इसमें कमियां नजर आती हैं और वह हमें इसमें सुधार लाने के लिए कहता है तो सभी दल एक साथ बैठेंगे और सर्वसम्मति से इस पर विचार-विमर्श करेंगे.’
उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह एक ऐतिहासिक फैसले में अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी बॉन्ड योजना रद्द कर दी. न्यायालय ने कहा कि यह योजना भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के साथ ही सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है.
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