Rahul Gandhi on Electoral bonds: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि चुनावी बॉन्ड दुनिया के सबसे बड़े जबरन वसूली रैकेट का हिस्सा है. राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के ठाणे में एक रैली में कहा, 'चुनावी बांड दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट है. राजनीतिक दलों को तोड़ने और विपक्षी सरकारों को गिराने के लिए धन चुनावी बॉन्ड से आया.'


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चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को मिला हजारों करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट चंदा सुर्खियों में है. बीते दिन ही भारत के चुनाव आयोग ने जानकारी को वेबसाइट पर पब्लिश किया है. इसके बाद कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से उच्च स्तरीय जांच की मांग कर दी है. कांग्रेस का दावा है कि भाजपा को इन बॉन्डों के माध्यम से कुल दान का 50 प्रतिशत मिला.


BJP का देश के संस्थागत ढांचे पर कब्जा 
राहुल गांधी ने कहा, 'भाजपा ने देश के संस्थागत ढांचे पर कब्जा कर लिया है...यह सबसे बड़ी राष्ट्रविरोधी गतिविधि है जो चल रही है...सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग का इस्तेमाल किया जा रहा है, बड़ी कंपनियों से उगाही की जा रही है, बड़े ठेकों के शेयर बेचे जा रहे हैं लिये जा रहे हैं और ठेके लेने से पहले चुनावी बॉन्ड दिए जा रहे हैं.'


क्या हैं चुनावी बॉन्ड डेटा?
बीते दिन भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में SBI द्वारा साझा किए गए चुनावी बॉन्ड डेटा को अपनी वेबसाइट पर पब्लिश कर दिया. यह डेटा शीर्ष अदालत की समय सीमा से एक दिन पहले पब्लिश कर दिया गया.


पोल पैनल को जानकारी वेबसाइट पर डालने के लिए कहा गया था. SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा तैयार करने के लिए कहा गया था. जहां 15 मार्च को शाम 5 बजे तक EC को इसे अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर डालना था. हालांकि, यह एक दिन पहले ही हो गया. हालांकि, इसमें नंबर की कमी थी, जिसकी बात ताजा सुनवाई में SC ने की. इन संख्याओं से ही मालूम चलेगा कि किसने किसे चंदा दिया.


SBI ने जो जानकारी दी है, वो भी कम दिलचस्प नहीं है. चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दान देने वालों में ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स और वेदांता लिमिटेड शामिल हैं.


चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों में अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, सन फार्मा शामिल हैं.


इन पार्टियों को मिला चंदा
चुनावी बॉन्ड के माध्यम से धन प्राप्त करने वालों में भाजपा, कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, बीआरएस, शिवसेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, डीएमके, जेडीएस, राकांपा, तृणमूल कांग्रेस, जदयू, राजद, आप, सपा शामिल हैं.


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