नई दिल्ली. भूतपूर्व आर्मी चीफ वीपी मलिक ने एक बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने भारत को हथियार बेचने वाले देशों की मनमानी का एक बड़ा उदाहरण पेश किया. पूर्व सेनाध्यक्ष के अनुसार कारगिल युद्ध के समय देश की सेना हथियारों की कमी से जूझ रही थी ऐसे में हथियार बेचने वाले राष्ट्रों ने भारत की मजबूरी का फायदा उठाया और उसे गैरवाजिब कीमत पर हथियारों की सप्लाई की.


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भारत को दुगुने दामों पर बेचे हथियार


जनरल मलिक मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान मेक इन इंडिया एंड दी नेशनल सेक्युरिटी के मुद्दे पर बोल रहे थे.  इस दौरान उनके द्वारा किये इस खुलासे ने सेना के लिए युद्ध के दौरान आने वाली स्थिति की तैयारियों पर ध्यान आकृष्ट किया. अपने इस महत्वपूर्ण खुलासे में उन्होंने बताया कि भारत अचानक सर पर आये युद्ध के दौरान हथियारों के स्तर पर पूरी तरह तैयार नहीं था. लगभग तीन दशक के बाद देश में युद्ध की स्थिति पैदा हुई थी ऐसे में हथियारों की अचानक ज़रूरत सेना की मजबूरी बन गई थी जिसका फायदा हथियार बेचने वाले राष्ट्रों ने जम कर उठाया. 


युद्ध में जरूरी हर सामान के लिये किया गया भारत की विवशता का शोषण 


जनरल मलिक के अनुसार करगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना को गोला बारूद से लेकर बंदूकें और यहां तक कि सैटेलाइट इमेजेस की भी जरूरत महसूस हुई. मौके की नजाकत को देखते हुए आनन-फानन में खरीद करनी पड़ी. हर वह देश जिससे भारत हथियार खरीदता है, इस अवसर को भुनाने से नहीं चूका  और उन्होंने भारत को वे हथियार अपनी कीमत से बहुत ज्यादा दाम पर बेचे. 



भारत को 1970 की बन्दूकें बेच डालीं


मलिक के अनुसार युद्ध के दौरान एक देश से बंदूकें खरीदने के लिए भारत ने बात की और चूंकि पहले ही उनसे इस बारे में बात हो चुकी थी, फिर भी उन्होंने भारत के युद्ध में फंसे होने की हालत का फायदा उठाया और इस तरह की बंदूकें भारत को सप्लाई कीं जो लगभग तीस साल पुरानी थीं. 


तब सेनाध्यक्ष थे जनरल मलिक


ध्यान देने योग्य बात ये है कि कारगिल युद्ध के दौरान जनरल वीपी मलिक भारतीय सेनाध्यक्ष की भूमिका में थे. जनरल मलिक के अनुसार युद्ध के दौरान जो सैटेलाइट इमेजेस भारत ने एक देश से खरीदीं, उसने भी भारत की मजबूरी का फायदा उठाते हुए तीन साल पुरानी सैटेलाइट छवियाँ भारत को बेचीं.



खुलासे के माध्यम से किया सेना को अलर्ट


जनरल वीपी मलिक के इस खुलासे के दौरान उनका जो सबसे अहम संकेत था उसके अनुसार भारतीय सेना की मजबूरी ये है कि देश का पब्लिक सेक्टर सेना की जरूरत के मुताबिक़ हथियार नहीं बना पाता है, इस कारण विवश हो कर सेना को बाहर से इन हथियारों की खरीद करनी पड़ती है.