नई दिल्ली: लोकसभा में सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन बार-बार हंगामा देखने को मिला और आखिरकार विपक्ष के हंगामे के बीच इसे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया. विपक्ष ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और कथित फोन टैपिंग मामले सहित कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश की.


हंगामेदार रहा मानसून सत्र का पहला दिन


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निचले सदन को सुबह 11 बजे के बाद से विपक्ष की ओर से किए गए हंगामे का सामना करना पड़ा. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के सदन के कामकाज को जारी रखने के बार-बार प्रयासों के बावजूद, विपक्षी दलों के सांसद अध्यक्ष के पोडियम के पास एकत्र हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे.


लोकसभा में नए सांसदों के शपथ के बाद अध्यक्ष ओम बिरला ने सिर्फ इतना कहा था माननीय प्रधानमंत्री जी और हंगामा शुरू हो गया. मंत्रिमंडल के नए मंत्रियों का परिचय कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खड़े हुए ही थे कि विपक्ष जोर जोर से नारा लगने लगे.


विपक्षी नेताओं मे किसी की एक ना सुनी


हंगामा बढ़ा तो लोकसभा अध्यक्ष सदन की परंपरा और गरिमा बनाए रखने की बात करने लगे, लेकिन हंगामे के मकसद से सदन में बैठे विपक्षी नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष की एक ना सुनी. इन हंगामों के बीच प्रधानमंत्री भी खड़े हो गए, बोलना भी शुरू किया लेकिन विपक्ष उन्हें सुनने के लिए तैयार कहां था.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'देश के दलित मंत्री बने देश की महिला मंत्री बने देश के ओबीसी मंत्री बने देश के किसानों के बेटे मंत्री बने यह बात कुछ लोगों को रास नहीं आती है और इसलिए उनका परिचय तक नहीं होने देते. विपक्ष की मानसिकता दलित और महिला विरोधी है.'


लोकसभा-राज्यसभा दोनों में शोर-गुल


प्रधानमंत्री ने बढ़ते हंगामे के बीच अपनी बात रोक दी और लोकसभा अध्यक्ष ने सदन को 2 बजे तक स्थगित कर दिया. राज्यसभा में भी हालात लोकसभा जैसे ही थे. वहां भी विपक्ष ने मंत्रियों का परिचय नहीं होने दिया. विपक्ष के इस रवैये पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां भी करारा वार किया.


सदन स्थगित होने के बाद सवाल ये उठा कि विपक्ष हंगामा क्यों कर रहा था, तो सबसे पहले हंगामे के मुद्दों को समझिए. मंहगाई के मुद्दे पर लोकसभा में कांग्रेस और TMC ने खूब नारेबाजी की. जबकि राज्यसभा में जासूसी के मुद्दे को TMC, RJD और AAP ने जोरदार ठंग से उठाया. इसके अलावा राफेल के मुद्दे पर चर्चा के लिए भी कांग्रेस ने नारेबाजी की. तो किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस और TMC साथ नजर आई.


सदन में किसानों का मुद्दा गरमाया


संसद में इन मुद्दों पर हंगामा करने के बाद सदन के बाहर भी विपक्ष ने सरकार पर खूब हमला किया. इन में सबसे तीखा हमला तो मोदी सरकार पर पुराने सहयोगी अकाली दल ने किया.


हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि 'इस बारिश में किसान बैठे हुए हैं गर्मी में सर्दी में बैठे हुए हैं. उनकी बात सरकार नहीं मान रही है तो यह तो क्या यह किसान विरोधी सरकार नहीं और सरकार की क्या मजबूरी है कि किसान कह रहा है वापस लो क्या मजबूरी उनके उपर है कि वापस नहीं ले सकते.'


राजनाथ सिंह ने संभाली कमान


विपक्ष की ओर से पुरानी सहयोगी हमला कर रही थीं तो सरकार की ओर से कमान राजनाथ सिंह ने संभाली ली. रक्षा मंत्री ने कहा कि 'मैंने पहली बार अपनी 24 वर्षों के संसदीय जीवन में या देखा है इस परंपरा को इस बार संसद में तोड़ा गया है, अध्यक्ष महोदय मैं कहना चाहता हूं जो कुछ भी कांग्रेस ने किया है वह दुखद है दुर्भाग्यपूर्ण है.'


हांलाकि संसद सुचारू रूप से चले इसके लिए Bussiness Advisory committee की बैठक भी हुई. स्पीकर के साथ सभी दलों के floor leaders की बैठक हुई, लेकिन अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा को लेकर सहमति नहीं बन पाई. विपक्ष हंगामे के जरिये देश का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहता है जबकि प्रधानमंत्री पहले ही कह चुके हैं वो विपक्ष तीखे सवाल पूछे. सरकार जवाब देने के लिए तैयार है.


हंगामा होना तो तय था!


हंगामा होगा ये पहले ही साफ हो चुका था. इस हंगाम के पीछे सबसे बड़ा मुद्दा जासूसी का है. क्योंकि पहले ही सरकार साफ कर चुकी है कि किसी की जासूसी नहीं हुई है. जबकि राहुल गांधी सदन में इस पर चर्चा से कम पर मानने के लिए तैयार नहीं है.


कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने संसद में जाते वक्त ही कह दिया था कि मुझे पार्लियामेंट में जाने दें फिर हम इस पर (जासूसी) चर्चा करेंगे. हांलाकि विपक्ष के आरोपों के बीच IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आरोप लगाया कि लोकतंत्र को बदनाम करने के लिए ये साजिश हो रही है. ये संयोग नहीं बल्कि विपक्ष का प्रयोग है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ही साफ किया था कि सरकार किसी भी तरह की चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष ने चर्चा की जगह हंगामे का रास्ता चुना. लोकसभा और राज्यसभा में आज जो हुआ ऐसे हालात आगे भी देखने को मिलेंगे. ऐसे में सवाल ये है कि क्या विपक्ष का मकसद सिर्फ हंगामा खड़ा करना है.


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