नई दिल्लीः देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस के जी बालकृष्णन आर्सेलर मित्तल कंपनी (ArcelorMittal) और मिडिएस्ट इंटीग्रेटेड स्टील के बीच 130 करोड़ रुपये के विवाद मामले में मध्यस्थ नियुक्त किए गए हैं. आर्सेलर मित्तल की ओर से दायर दो अलग अलग आरबिट्रेशन एप्लीकेशन की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कार्ट ने उन्हें मामले में दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने के लिए उन्हें नियुक्त किया है.


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दोनों कंपनियों के बीच चल रहे विवाद में पूर्व में नियुक्त मध्यस्थ को लेकर सहमति नहीं बनने पर जस्टिस सुरेश कुमार कैट की एकल पीठ ने नियुक्ति की है. 


क्या है विवाद
आर्सेलर मित्तल कंपनी को अपने नए प्रोजेक्ट के लिए लौह अयस्क की आवश्यकता होने पर 2 सितंबर 2009 को मिडिएस्ट इंटीग्रेटेड स्टील के साथ एक समझौता किया. इस समझौते के तहत मिडिएस्ट इंटीग्रेटेड स्टील ने 154 करोड़ रुपये में 15 मिलियन टन लौह अयस्क उपलबध कराने पर हस्ताक्षर किए. संपूर्ण राशि एडवांस प्राप्त करने के बावजूद कंपनी लौह अयस्क उपलब्ध कराने में असफल रही. इसके बाद आर्सेलर मित्तल की ओर से उसे नोटिस जारी किए गए. 31 मार्च 2017 तक कंपनी मात्र 24 करोड़ का ही लौह अयस्क उपलब्ध करा पाई.


आर्सेलर मित्तल की ओर से 22 मई 2018 को नोटिस जारी कर 130 करोड़ रिफंड करने को कहा. मिडिएस्ट इंटीग्रेटेड स्टील ने एडवांस का भुगतान से इनकार कर दिया. साथ ही उसके द्वारा दिए गए 123 करोड़ के चैक भी बाउंस हो गए. इसके चलते आर्सेलर की ओर से 13 नवंबर 2021 को मामले को आरबिट्रेशन के जरिए सुलझाने का नोटिस दिया.


आरबिट्रेटर पर भी नहीं बनी थी सहमति
आर्सेलर मित्तल ने मामले को सुलझाने के लिए आरबिट्रेशन का नोटिस दिया. साथ ही आरबिट्रेटर के रूप में रिटायर्ड जज जस्टिस अभय मोहन सप्रे के नाम का सुझाव दिया, जिसे प्रतिवादी कंपनी मिडिएस्ट इंटीग्रेटेड स्टील ने स्वीकार करने से इनकार करते हुए अपनी तरफ से रिटायर्ड जस्टिस अरिजीत पसायत का नाम सुझाया. 


आरबिट्रैटर को लेकर दोनों कंपनियों के बीच सहमति नहीं बनने पर आर्सेलर ने आरबिट्रेटर की नियुक्ति के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में एप्लीकेशन दायर की. दिल्ली हाई कोर्ट ने अब इस विवाद के आरबिट्रेशन के लिए देश के पूर्व सीजेआई जस्टिस के जी बालकृष्णन को नियुक्त किया है.


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