नई दिल्ली: संसद में CAB(नागरिकता संशोधन कानून) पास होने के बाद से ही लगातार अफवाहें फैलाई जा रही हैं. जिसकी परिणति जामिया इलाके में फैली हिंसा में हुई. आखिर राष्ट्रीय राजधानी जैसे अति सुरक्षित इलाके  में हिंसा क्यों फैली- 


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1. कई दिनों से चल रही थी राजधानी को आग में झोंकने की तैयारी
ऐसा नहीं है कि CAB(नागरिकता संशोधन कानून) के नाम पर जामिया इलाके  में अचानक हिंसा फैल गई. दरअसल हिंसक प्रदर्शन की तैयारी 2 दिनों से चल रही थी. लेकिन दिल्ली पुलिस का खुफिया विभाग इसका अंदाजा नहीं लगा सका. दिल्ली पुलिस और उसका खुफिया तंत्र अगर सतर्क होता तो रविवार की शाम जो हिंसा का तांडव हुआ उसकी नौबत नहीं आती. 


इस लापरवाही का खामियाजा दिल्ली पुलिस के जवानों के साथ साथ आम लोगों को भी भुगतना पड़ा और करोड़ो की सरकारी संपत्ति स्वाहा हो गई. 


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2. पुलिस में सामंजस्य की कमी
इस मामले को देखने से से पहली नजर में यह पुलिस विभाग की ही लापरवाही का मामला लगता है. जिसकी वजह से हालात इतने ज्यादा बिगड़ गए और स्थिति इतनी विस्फोटक हो गई. रविवार को देर रात करीब साढ़े नौ बजे दिल्ली पुलिस प्रवक्ता एसीपी अनिल मित्तल से जब घटनाक्रम के बारे में पूछा तो उन्होंने भी कोई अधिकृत जानकारी होने से इनकार कर दिया. 


उन्होंने कहा, "इस मामले में हमारे पास कोई जानकारी नहीं है. इस मामले को सीधे तौर पर दक्षिणी-पूर्वी जिले के डीसीपी चिन्मय विस्वाल देख रहे हैं. वे ही अधिकृत जानकारी दे पाएंगे." 


दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता के इस बयान से साफ हो जाता है कि प्रदर्शन को हैंडल करने में दिल्ली पुलिस के अलग अलग टीमों के बीच सामांजस्य की कमी थी. यही वजह थी कि दक्षिण पूर्वी इलाके में फैले बवाल को काबू में करने में जुटी दिल्ली पुलिस बाकी इलाकों की सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करना भूल गई. 


दिल्ली पुलिस खुफिया विभाग (स्पेशल ब्रांच) के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि "जामिया के अंदर और बाहर क्या कुछ हालात हैं, इसकी कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएं बाकायदा जिला पुलिस को मुहैया करा दी गई थीं. जिला पुलिस शायद इन सूचनाओं को गंभीरता से नहीं ले सकी."


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3. बाहर के दंगाइयों ने फैलाई ज्यादा हिंसा
इस हंगामे के बाद दिल्ली पुलिस ने जो प्रेस कांफ्रेन्स की उसमें साफ तौर पर कहा गया कि इस प्रदर्शन में जामिया के छात्रों से ज्यादा आस पास के लोग शामिल थे. जिन्होंने आगजनी और हिंसा फैलाई. 


रंधावा ने बताया कि 13 दिसंबर से यह विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ. जिसके बाद अगले दिन भी प्रदर्शन किया गया. हालांकि तब तक स्थिति नियंत्रण में थी. लेकिन रविवार को जब 2 से 4 बजे के बीच प्रदर्शनकारी माता मंदिर मार्ग इलाके तक आकर बसों में आग लगाने लगे तो पुलिस ने भीड़ को जामिया  नगर की तरफ खदेड़ना शुरू किया. 


इस प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर बल्ब, ट्यूबलाइट और बोतलें फेंकी.  रास्ते में एक हॉस्पिटल पर भी पथराव हुआ. पुलिस ने बताया कि हंगामेबाजों ने 4 डीटीसी बस, पुलिस मोटरसाइकिल के साथ-साथ 100 से ज्यादा निजी वाहनों को फूंक दिया. इसमें ज्यादातर बाइक और कुछ कार शामिल हैं. 


दंगे में बाहरी लोगों की भूमिका को जामिया प्रशासन ने भी स्वीकार करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी में बाहरी लोग घुस रहे हैं. उन्हें 750 फर्जी आईकार्ड मिले हैं. 


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4. अफवाहों ने बिगाड़ा माहौल 


राजधानी में जब बवाल चल रहा था तो अफवाहें हवा की गति से फैल रही थीं. जिसकी वजह से माहौल बिगड़ता चला गया. दिल्ली का माहौल बिगाड़ने में अफवाहों की इतनी अहम भूमिका थी कि दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता और जामिया की वाइस चांसलर दोनों ने लोगों को इससे सावधान रहने के लिए कहा. 


एमएस रंधावा ने साफ तौर पर लोगों से अफवाहों पर यकीन नहीं करने करने को कहा. उन्होंने आश्वस्त किया कि छात्र चिंता न करें, किसी बहकावे में न आएं.  ऐक्शन सिर्फ उन्हीं के खिलाफ लिया जाएगा जो गैरकानूनी काम में शामिल थे. 


उधर जामिया मिलिया की वीसी नज़मा अख्तर ने कहा कि 'मैं सभी से अपील करती हूं कि किसी तरह की अफवाह पर यकीन न करें. दो छात्रों के मारे जाने की अफवाह है, हम इसे पूरी तरह खारिज करते हैं, किसी छात्र की मौत नहीं हुई है. 200 लोग घायल हुए हैं जिनमें कई छात्र भी शामिल हैं.' 


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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हिंसा फैलने के इन चार कारणों को देखकर साफ लगता है कि इसके पीछे गहरी साजिश थी. अब जरुरत है तो बस इस साजिश को रचने वाले को गिरफ्तर में लेने की.