नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने आखिरकार सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून-2019 का नोटिफिकेशन जारी कर दिया यानी अब देश में CAA लागू गया है. कानून के लागू होने की घोषणा के साथ जहां सरकार के विभिन्न दिग्गज मंत्रियों और नेताओं ने इसका स्वागत किया तो वहीं विपक्षी नेताओं ने इसका विरोध किया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि सरकार को सीएए की अधिसूचना 6 महीने पहले जारी करनी चाहिए थी.


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'6 महीने पहले जारी होनी चाहिए थी अधिसूचना'
ममता बनर्जी ने कहा-आपको इन नियमों की अधिसूचना 6 महीने पहले लागू करनी चाहिए थी. अगर इसमें कोई बेहतर बात है तो हम समर्थन करेंगे लेकिन अगर कुछ गलत है तो ये देश के लिए बेहतर नहीं है. तृणमूल हमेशा अपनी आवाज उठाती रहेगी और इसका विरोध करेगी. मैं जानती हूं कि क्यों इसके लिए रमज़ान से ठीक एक दिन पहले का समय चुना गया. मैं लोगों से अपील करती हूं कि वो शांति बनाए रखें और किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें.


अखिलेश ने क्या कहा?
समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा-जब देश के नागरिक रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं, तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता क़ानून’ लाने से क्या होगा? जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है. भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 वर्षों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गये. चाहे कुछ हो जाए, कल चुनावी बॉण्ड का हिसाब तो देना ही पड़ेगा और फिर ‘केयर फंड’ का भी.


भड़के ओवैसी बोले- विरोध बरकरार है
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ असदु्द्दीन ओवैसी ने कहा-आप क्रोनोलॉजी समझिए. पहले चुनाव का मौसम आएगा, फिर सीएए के नियम आएंगे. सीएए पर हमारी आपत्तियां जस की तस बरकरार हैं. सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की उस सोच पर आधारित है, जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहती है. सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दी जाए, लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि उसने इन नियमों को पांच साल तक क्यों लंबित रखा और अब इसे क्यों लागू कर रही है. एनपीआर-एनआरसी के साथ, सीएए का उद्देश्य केवल मुसलमानों को निशाना बनाना है, इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है. सीएए, एनपीआर-एनआरसी का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरे भारतीय नागरिकों के पास फिर से इसका विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.


‘हेडलाइन को मैनेज करने का प्रयास’
वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा- दिसंबर, 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए. प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल पेशेवर और समयबद्ध तरीके से काम करती है. नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफ़ेद झूठ की एक और झलक है. ऐसा स्पष्ट रूप से चुनाव को ध्रुवीकृत करने के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में. यह चुनावी बॉण्ड घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार और सख्ती के बाद, ‘हेडलाइन को मैनेज करने’ का प्रयास भी प्रतीत होता है


बता दें कि CAA 2019 को लागू करने से जुड़े नियमों को सोमवार को अधिसूचित कर दिया गया, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से दस्तावेज के बिना आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. नियम जारी हो जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता देना शुरू कर देगी.


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