Rahul Kaswan Vs Rajendra Rathore: राहुल कस्वां और राजेंद्र राठौड़ के बीच अदावत क्यों? 15 साल पुराना है किस्सा...

Rahul Kaswan and Rajendra Rathore: भाजपा ने चुरू सांसद राहुल कस्वां का टिकट काट दिया, इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. उन पर दिग्गज नेता राजेंद्र राठौड़ के चुनाव में भीतरघात करने के आरोप लगे. हालांकि, कस्वां और राठौड़ परिवार की अदावत इससे भी पुरानी है.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Mar 11, 2024, 04:06 PM IST
  • राठौड़ और कस्वां हुआ करत थे दोस्त
  • एक हत्याकांड के बाद रिश्ते में आई खटास
Rahul Kaswan Vs Rajendra Rathore: राहुल कस्वां और राजेंद्र राठौड़ के बीच अदावत क्यों? 15 साल पुराना है किस्सा...

नई दिल्ली: Rahul Kaswan and Rajendra Rathore: 18 दिसंबर, 2023 को चुरू में कड़ाके की ठंड पड़ रही थी. राजस्थान का यह जिला सर्दियों में सबसे ठंडा और गर्मियों में सबसे गरम रहता है. लेकिन दिसंबर की ठंड में भी यहां का राजनीतिक पारा गरमाया हुआ था. वजह थी प्रदेश के दिग्गज नेता की हार. दरअसल, 3 दिसंबर को ही विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे. राजस्थान भाजपा के दिग्गज नेता और 6 बार के विधायक राजेंद्र राठौड़ चुरू से चुनाव हार गए थे. हार के बावजूद वे तारानगर विधानसभा की जनता का आभार जताने आए थे. इसी मौके पर रैली हो रही थी. 

'पीठ में खंजर घोंपने का काम किया'
राठौड़ के एक करीबी सर्मथक सभा को संबोधित कर रहे थे. राठौड़ मंच पर ही आसीन थे. समर्थक ने मंच पर से कहा, 'मुझे 2004 का चुनाव याद है. बलराम जाखड़ कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने आए थे. लेकिन आपने (राजेंद्र राठौड़) एक लक्ष्‍मण के रूप में चुनाव लड़कर बलराम जाखड़ को धूल चटाई और रामसिंह कस्‍वां को यहां से जिताया. मैं खुले मन से कह रहा हूं, किसी को दिक्‍कत हो तो बात कर लो. कस्‍वां परिवार ने पीठ में खंजर घोंपने का काम किया है. गद्दारों की कोई जगह नहीं है.' राठौड़ के समर्थक जिस कस्वां परिवार पर लाल-पीले हो रहे थे, वह उनका प्रतिद्वंदी नहीं था. चुनाव तो कांग्रेस के नरेंद्र बुडानिया ने हराया. कस्वां परिवार तो राठौड़ की ही पार्टी (BJP) में बीते 33 साल से सक्रिय था. परिवार के बेटे राहुल कस्वां चुरू से सांसद हैं. कस्वां परिवार पर भीतरघात के आरोप लगे. 

दोनों का सियासी सफर साथ-साथ शुरू हुई
राजेंद्र राठौड़ और रामसिंह कस्वां का राजनीतिक सफर साथ-साथ ही शुरू हुआ था. राठौड़ 1978-79 में राजस्‍थान यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्‍यक्ष हुआ करते थे और राम सिंह कस्वां चूरू जिले के गांव कालरी के सरपंच थे. 1990-91 में दोनों ने प्रदेश और केंद्र स्तर की राजनीति में कदम रखा. 1990 में राठौड़ चूरू विधानसभा सीट से जनता दल की टिकट पर MLA बने. जबकि 1991 में रामसिंह कस्‍वां चूरू लोकसभा क्षेत्र से MP बने. इसके बाद रामसिंह कस्‍वां को दो बार 1996 व 1998 में हार झेलनी पड़ी. फिर रामसिंह कस्‍वां ने लगातार 1999, 2004 व 2009 में MP का चुनाव जीता. राठौड़ एक के बाद एक विधासनभा चुनाव जीत रहे थे.

कस्वां और राठौड़ परिवार में दुश्मनी क्यों?
इसी बीच साल 2002 में सुमेर फगेड़िया की हत्या हो गई. जिसका आरोप नेता बसपा वीरेंद्र न्‍यांगली पर लगा. 2009 में वीरेंद्र न्‍यांगली की हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड के बाद रामसिंह कस्वां और राजेंद्र राठौड़ की राहें अलग हो गईं. दोनों अपनी-अपनी जातियों के पक्ष में खड़े हो गए. इसके पहले दोनों के बीच गहरी दोस्ती हुआ करती थी, जिसके बाद दोनों में दुश्मनी की गहरी खाई बन गई. 

पिता का टिकट काटकर बेटे को दिया
2014 के लोकसभा चुनाव में रामसिंह कस्वां का भाजपा ने टिकट काट दिया. कहा गया कि राठौड़ खेमे की टिकट कटवाने में भूमिका रही. हालांकि, फिर रामसिंह के बेटे राहुल कस्‍वां को पहली बार टिकट मिला. वे मोदी लहर में जीते. 2019 में फिर खबरें आईं कि राठौड़ खेमे ने राहुल की टिकट कटवाने के लिए लॉबिंग की है. लेकिन राहुल को रिपीट किया गया और वे फिर चुनाव जीते. 

'जयचंदों ने हमें हराया'
इसके बाद आता है 2023 का विधानसभा चुनाव, जो कस्वां और राठौड़ परिवार की अदावत को बेपर्दा कर देता है. राजेंद्र राठौड़ के समर्थकों ने हार का ठीकरा राहुल कस्वां पर फोड़ा. खुद राठौड़ ने भी कहा कि जयचंदों ने हमें चुनाव हराया. राठौड़ समर्थकों ने तो यह भी दावा किया कि हमारे पास कस्वां परिवार की भीतरघात की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी है. हालांकि, यह कभी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं कराई गई.

फिर होंगे आमने-सामने
अब लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राहुल कस्वां का टिकट काट दिया. वे भाजपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए. विधानसभा चुनाव में चुरू राजेंद्र राठौड़ की तारानगर सीट की वजह से चर्चा में था और लोकसभा चुनाव से पहले राहुल कस्वां की बगावत से चर्चा में है. इस सीट पर भाजपा के देवेंद्र झाझड़िया और कांग्रेस के राहुल कस्वां के बीच मुकाबला होगा. झाझड़िया राठौड़ के नजदीकी हैं. कुल मिलाकर राठौड़ और कस्वां परिवार के बार फिर अप्रत्यक्ष रूप से आमने-सामने होगा. 

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