बांद्रा में हजारों की भीड़ का जुटना देश के खिलाफ गंभीर साजिश तो नहीं?
मुंबई के बान्द्रा स्टेशन पर सड़क के ऊपर ये लोग जो दिख रहे हैं और वो लोग भी जो दिख नहीं रहे हैं, ये लोग कौन हैं, समझना बहुत मुश्किल नहीं है. लेकिन इनके पीछे वही लोग हैं जिन्हें अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए निर्दोषों की चिताओं की आग का इस्तेमाल करने से भी कोई परहेज नहीं है.
नई दिल्ली. एक सवाल है जो देश का हर नागरिक पूछना चाहता है महाराष्ट्र की सरकार से और उसके मुख्यमंत्री से कि जिस प्रदेश में और खासकर प्रदेश की राजधानी मुम्बई में जहां कोरोना के संक्रमण के कारण सबसे ज्यादा लोग मारे जा रहे हैं और जहां जिस मुम्बई में लॉकडाऊन चल रहा है वहीं उसी मुम्बई में हजारों अप्रवासी कामगारों की भीड़ 20 से 30 किलोमीटर चल कर बांद्रा स्टेशन तक किस प्रकार पहुंच गई? हम सबको पता है कि लॉकडाउन ने मुंबई का पब्लिक ट्रांसपोर्ट बिलकुल बंद कर रखा है, फिर ये कैसे हुआ? .
पुलिस क्या कर रही थी?
ये गौर करने वाली बात है कि इतनी बड़ी भीड़ एक साथ एक स्थान पर रहने वाले लोगों की भीड़ नहीं है. ज़ाहिर है, ये लोग अचानक ही बांद्रा स्टेशन पर प्रगट भी नहीं हुए होंगे. ये लोग मुम्बई के विभिन्न स्थानों से दस पंद्रह लोगों के जत्थे बन कर बांद्रा स्टेशन पहुंचे होंगे. इन लोगों के ये जत्थे जब पंद्रह बीस किलोमीटर दूर से चल कर स्टेशन पहुँच रहे थे तो क्या ये लोग पुलिस को दिखाई नहीं दिया?
दो से तीन घंटे चलते हुए ये जत्थे जो बांद्रा स्टेशन पहुंचे सड़कों पर ही चल कर पहुंचे हैं - तब महाराष्ट्र पुलिस के लोग कहां छुपे हुए थे? पुलिस ने क्यों नहीं रोक कर इन लोगों को वापस भेजा? क्या मुंबई पुलिस चाहती थी कि ये लोग बांद्रा स्टेशन पहुंचें?
दूर से चलकर आये हुए लोग थे ये सब
मुंबई में बांद्रा स्टेशन मजदूरों और कामगारों के रहने वाले स्थान के रूप में नहीं जाना जाता. ये हज़ारों अप्रवासी कामगार इतने आर्थिक रूप से सशक्त नहीं हैं कि बांद्रा इलाके में तो छोड़िये उसके भी आसपास के पंद्रह से बीस किलोमीटर के क्षेत्र में रह सकें. स्पष्ट है कि ये लोग पंद्रह से बीस किलोमीटर से चल कर यहाँ पहुंचे हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि कोरोना संक्रमण की भयानक स्थिति को झेल रहा मुंबई शहर में हजारों लोगों की इस तरह की भीड़ कितनी मौतों की वजह बन सकती है?
मोदी विरोधियों की देश विरोधी हरकत
ये हरकत साफ़ ज़ाहिर करती है कि ये मोदी विरोधियों के द्वारा अंजाम दी गई हरकत है जो सारे देश का नुकसान चाहती है और एक सुनियोजित षड्यंत्र के अंतर्गत इस भीड़ को बांद्रा के रेलवे स्टेशन तक लाया गया है. मोदी सरकार की कोरोना पर विजय दुनिया भर में चर्चा का विषय है ऐसे में मोदी और उनकी सरकार की ये सफलता राष्ट्रविरोधियों को हजम नहीं हो पा रही है और ऐसे बिलबिलाते हुए मानव-जंतु इसी तरह की घटिया कोशिशों को अंजाम दे रहे हैं. इन के साथ मीडिया का भी एक राष्ट्रद्रोही धड़ा शामिल है जो हाल ही में तरह तरह की अफवाहें फैला कर इस तरह की खबरें पेश करने की कोशिश कर रहे थे कि 14 अप्रैल के बाद लॉकडाऊन बढ़ाना अच्छी बात नहीं होगी.
लॉक डाउन तोड़ने की साजिश
प्रधानमंत्री मोदी ने आज लेकिन लॉकडाऊन बढ़ाने का उचित निर्णय किया है जिससे इन लोगों के इरादों को बुरी तरह से चोट पहुंची है. इस वजह से ही इस तरह का अमानवीय कृत्य किया गया मुंबई में ताकि लॉकडाऊन टुकड़े टुकड़े हो कर बिखर जाए और राजनीति के भूखे सियारों को राष्ट्रद्रोहियों की मदद से लाशों पर राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने का गिद्ध-अवसर प्राप्त हो सके.