नई दिल्ली: George Fernandes Death Anniversary: जब भी भारत के समाजवादी नेताओं का जिक्र आता है, तो एक नाम जॉर्ज फर्नांडिस का भी लिया जाता है. इन दिनों जॉर्ज की बनाई पार्टी JDU खूब चर्चा में है. हालांकि, जॉर्ज की निजी जिंदगी भी कुछ कम चर्चा में नहीं रही है. जॉर्ज नीतीश कुमार के राजनैतिक गुरु हैं. कहा जाता है कि जब जॉर्ज अटल सरकार में देश के रक्षा मंत्री थे, तब उन्होंने अपने घर '3 कृष्णा मेनन मार्ग' के दरवाजे का एक फाटक हमेशा के लिए हटा दिया था. दरअसल, जॉर्ज का मानना था कि उनसे कोई मिलने आए, तो उसे रोका नहीं जाना चाहिए. लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं होगा कि आने वाले दिनों में उन्हीं कि दशकों पुरानी दोस्त को उनके घर में एंट्री नहीं मिलेगी. आज जॉर्ज की पुण्यतिथि है. 29 जनवरी, 2019 को उनका निधन हो गया था. 


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अल्जाइमर से पीड़ित थे जॉर्ज
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जॉर्ज फर्नांडिस को अपनी ही बनाई पार्टी से JDU टिकट नहीं मिला. लेकिन उन्होंने मुजफ्फरपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ा, जो हार गए. जॉर्ज की हार के बाद उनके मित्र दिल्ली में उनके लिए किराये का मकान तलाशने लगे. लेकिन इसी बीच राज्यसभा के चुनाव हुए और JDU के कोटे से उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया गया. जब जॉर्ज ने राज्यसभा सदस्य की शपथ ली, तब वो अल्जाइमर से पीड़ित थे. जॉर्ज की पत्नी लैला कबीर अपने 4 दशक पुराने रिश्ते को निभाने दिल्ली लौट आई थीं, ताकि जॉर्ज की बीमारी के दिनों में वो उनके साथ रहें. 


रिश्ते में आई खटास
जॉर्ज और लैला कबीर की शादी साल 1971 में हुई थी. दोनों ने लव मैरिज की थी. साल 1975 में आपातकाल लगा तो जॉर्ज बड़ौदा डायनामाइट केस में जेल चले गए. इस दौरान लैला कबीर भी अपने बेटे शॉन को लेकर अमेरिका चली गईं. इमरजेंसी खत्म होने के बाद लैला लौटीं तो जॉर्ज के पास बिलकुल वक्त नहीं था. लैला कहती हैं, 'मैं अमेरिका से लौटी, तब तक जॉर्ज सत्ता के शीर्ष तक पहुंच गए थे. मैं अपने बेटे को उसका पिता देने आई थी, लेकिन पिता ने रुचि नहीं दिखाई.' इसके बाद लैला 1984 में बेटे को लेकर वापस अमेरिका चली गईं. 


जॉर्ज ने नहीं दिया लैला को तलाक 
इसी बीच जॉर्ज का एक पार्टी वर्कर जया जेटली के साथ खास रिश्ता बन गया. जब लैला को इस बात का पता चला तो उन्होंने जॉर्ज को तलाक के पेपर्स भेजे, लेकिन जॉर्ज ने बदले में लैला को सोने के कंगन भेजे और लिखा- ये कंगन मेरी मां के हैं. फिर तलाक की बात नहीं उठी. इसके बाद 2007 में जॉर्ज ने 23 साल बाद अपने बेटे शॉन से बात की. शॉन को पता चला कि उनके पिता को अल्जाइमर हो गया है. उन्होंने ये बात अपनी मां लैला कबीर को बताई. लैला को लगा कि जॉर्ज को उनकी जरूरत है. वो 2010 में लौट आईं. साथ में बेटा शॉन और बहू भी थे.


जब जया को नहीं मिली घर में एंट्री
जॉर्ज ने ने साल 2009 में जया जेटली के नाम पर पावर ऑफ़ अटर्नी लिखी थी. लैला ने लौटकर इसे अपने पक्ष में करवा लिया. दरअसल, जॉर्ज के पास 13 करोड़ की संपत्ति थी, जो उन्हें अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर मिली थी. जॉर्ज के भाई रिचर्ड ने लैला की मुखालिफत की तो जॉर्ज के बेटे शॉन ने कहा, ये पैसे उनके पिता के इलाज में खर्च किए जा जाएंगे. 2010 में जया जॉर्ज से मिलने आईं. जया ने कहा कि मैं अपनी किताबें और पेंटिंग्स लेने आई हूं. लेकिन उन्हें एंट्री नहीं दी गई. 


जॉर्ज से मिलीं जया
इसके बाद जया ने अदालत का सहारा लिया. हाईकोर्ट ने जया को जॉर्ज से मिलने की इजाजत नहीं दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला पलटा. जया जॉर्ज के 80वें जन्मदिन पर मिलने गईं. एक तस्वीर भी जारी हुई. इसके बाद 29 जनवरी, 2019 को जॉर्ज का 89 साल की उम्र में निधन हो गया. तब तक जॉर्ज चीजें भूलने लगे थे. कहा जाता है कि वो न लैला को याद रख पाए और न ही जया को. 


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