नई दिल्ली: ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होनी है. ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करने वाली समिति अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका पर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी.


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अंजुमन इंतजामिया मस्जिद ने दी है याचिका


ज्ञानवापी सर्वे के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की मैनेजमेंट कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अपनी याचिका में मैनेजमेंट कमेटी ने कहा है कि सर्वे की इजाजत वाला आदेश प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ है और इसी को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. ये मामले जस्टिस चंद्रचूढ़ की सिंगल जज वाली बेंच के पास है.


सर्वे के पीछे की कहानी


1. 18 अगस्त 2021 को 5 महिलाओं ने याचिका दाखिल की
2. राखी, लक्ष्मी, सीता, मंजू और रेखा ने पूजा की इजाजत मांगी
3. याचिका में कहा गया कि ज्ञानवापी में देवताओं का स्थान है
4. मां श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजा की इजाजत मांगी गई 
5. याचिका में देवताओं की सुरक्षा का भी हवाला दिया गया
6. मां शृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानवापी के पिछले हिस्से में है
7. 1992 से पहले यहां नियमित दर्शन-पूजन होता था
8. 1992 के बाद सुरक्षा कारणों की वजह से बंद हो गया 
9. नवरात्र में एक दिन पूजा करने की इजाजत मिलती है
10.  26 अप्रैल 2022 को कोर्ट ने सर्वे कराने का आदेश दिया
11. 7 मई को विवाद बढ़ गया,  मामला फिर कोर्ट चला गया
12. 12 मई को कोर्ट ने पूरे परिसर के सर्वे का आदेश दे दिया
13. 3 दिनों तक सर्वे हुआ, शिवलिंग मिलने का दावा किया गया
14. आज  सर्वे टीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी  


याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद में वाराणसी की अदालत द्वारा दिए गए सर्वे के आदेश को चुनौती दी गयी है.सीजेआई एन वी रमन्ना, जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली की बैंच ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए यथास्थिति बनाए रखने का अंतरिम आदेश देने से इंकार किया था. लेकिन सीजेआई ने सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध करने के निर्देश दिये थे.


क्या है याचिका का आधार?


मुस्लिम पक्षकार ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) कानून, 1991 और उसकी धारा 4 का जिक्र किया करते हुए याचिका दायर की हैं. इसके अनुसार 15 अगस्त, 1947 को विद्यमान किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक स्वरूप में बदलाव को लेकर कोई भी वाद दायर करने या कोई कानूनी कार्रवाई शुरू करने पर रोक लगाती हैं. 


याचिका में कमेटी की ओर से कहा गया है कि 1991 में दाखिल किए गए वाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है. उस याचिका में भी सर्वेक्षण कराने को लेकर कोर्ट कराने को लेकर कोर्ट का आदेश भी था. हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी.


लगातार 3 दिन तक सर्वे चला, कुल 34200 सेकेंड यानी 570 मिनट सर्वे हुआ. 10 घंटे और 10 मिनट की रिकॉर्डिंग की गई. सबसे बड़े सर्वे में चौंकाने वाला दावा हुआ. अब सर्वे का सच आज कोर्ट में पेश होगा. कुछ घंटों के बाद ही ज्ञानवापी का सबसे बड़ा सच सामने आने की उम्मीद है.


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