Gyanvapi Survey Live: दीवार, गुंबद, चबूतरा... ASI की चार टीमों के 43 सदस्य कर रहे सर्वे
Gyanvapi Survey Live: ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वे के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम वाराणसी पहुंच गई है. टीम ने आज सुबह 7 बजे से सर्वे शुरू कर दिया है. एएसआई को चार अगस्त तक वाराणसी जिला अदालत को सर्वे रिपोर्ट सौंपनी है. जिला जज एके विश्वेश के आदेश पर वैज्ञानिक सर्वे किया जा रहा है.
नई दिल्लीः Gyanvapi Survey Live: ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वे के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम वाराणसी पहुंच गई है. टीम ने आज सुबह 7 बजे से सर्वे शुरू कर दिया है. एएसआई को चार अगस्त तक वाराणसी जिला अदालत को सर्वे रिपोर्ट सौंपनी है. जिला जज एके विश्वेश के आदेश पर वैज्ञानिक सर्वे किया जा रहा है.
एएसआई के 43 सदस्य कर रहे हैं सर्वे
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एएसआई की टीम में 43 सदस्य हैं. साथ ही चार वकील भी टीम में मौजूद हैं. वहीं चार महिला वादी भी सर्वे टीम के साथ मौके पर हैं. रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि एएसआई की चार टीमें बनाई गई हैं. अलग-अलग टीम अलग-अलग जगह सर्वे कर रही है. एक टीम पश्चिमी दीवार के पास, दूसरी टीम गुंबदों की, तीसरी टीम चबूतरे की और चौथी टीम परिसर का सर्वे कर रही है.
ढांचे को नुकसान न पहुंचाने की हिदायत
सर्वे के दौरान जरूरत पड़ने पर खुदाई की भी अनुमति है लेकिन इस बात का ध्यान रखना होगा कि ढांचे को कोई नुकसान न पहुंचे. बता दें कि इससे पहले हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया था कि एएसआई की टीम सोमवार को ज्ञानवापी परिसर में वजूखाने को छोड़ कर पूरे परिसर का सर्वेक्षण शुरू करेगी. उन्होंने बताया था कि एएसआई की टीम सोमवार को सुबह सात बजे से ज्ञानवापी परिसर में सर्वेक्षण शुरू करेगी. इसमें सभी वादियों के एक-एक अधिवक्ता शामिल रहेंगे.
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुस्लिम पक्ष
बता दें कि वाराणसी के जिला न्यायाधीश ए. के. विश्वेश की अदालत ने 21 जुलाई को हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी है. वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.
याद रहे कि साल 2021 के अगस्त महीने में पांच महिलाओं ने वाराणसी की एक अदालत में याचिका दायर की थी. इसमें ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने शृंगार गौर मंदिर की रोजाना पूजा करने और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी.
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