नई दिल्ली: देश का जाना-माना नमकीन और स्नैक्स ब्रांड हल्दीराम ट्विटर पर उस समय ट्रेंड होने लगा था जब एक टीवी चैनल पर प्रसारित वीडियो में उस पर एक उत्पाद की सामग्री का विवरण उर्दू भाषा में देकर उपभोक्ताओं को गुमराह करने का आरोप लगाया गया और यह भी पूछा गया कि क्या इस उत्पाद में जन्तु तेल का इस्तेमाल किया गया.


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वायरल वीडियो को लेकर विभिन्न मंचों पर चर्चा शुरू होने के बाद तथ्यों के अन्वेषण से पता चला कि ‘‘फलहारी मिक्सचर’’ के पैकेट पर लिखी लिपि उर्दू नहीं बल्कि अरबी है, जिसका उद्देश्य खाड़ी देशों में निर्यात बाजार को आकर्षित करना है.


पैकेट पर लिखी भाषा अरबी है


इसके साथ ही सामग्री की सूची के साथ ही पैकेट पर ‘ग्रीन’ लेबल लगा हुआ है जिसका मतलब है कि वह शाकाहारी है. दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के उर्दू के प्रोफेसर महफूज खान ने पुष्टि की कि हल्दीराम के पैकेट पर लिखी भाषा अरबी है.


उन्होंने कहा, ‘‘दोनों भाषा पूरी तरह अलग है. अरबी सामी भाषाओं के परिवार की है जबकि उर्दू इंडो-आर्यन भाषाओं के परिवार की है.’’ खान ने कहा, ‘‘उनकी लिपियां भी अलग है लेकिन कुछ समानताएं हैं. इसलिए लोग भ्रमित हो जाते हैं. अरबी भाषा अरब के लोगों द्वारा बोली जाती है और उर्दू खड़ी बोली है. उर्दू अरबी के जैसे लगती है क्योंकि उर्दू भाषा में कई शब्द कुरान के कारण अरबी से लिए जाते हैं.’’


इस भाषा का भी होता है इस्तेमाल


हल्दीराम जैसे अन्य बड़े ब्रांड जैसे कि पार्ले, पतंजलि, एमटीआर और मदर्स रेसिपी संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, ओमान और अन्य खाड़ी देशों में अपने कई उत्पाद बेचते हैं. इन देशों में अपने उत्पाद बेचने वाले सभी ब्रांड उत्पाद के विवरण और सामग्री में अंग्रेजी के साथ स्थानीय भाषा का भी इस्तेमाल करते हैं, जो अरबी है.


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