अहमदाबाद. गुजरात राज्य में पाकिस्तान-सीमा से लगे ज़िलों में टिड्डियों के समूहों ने आक्रमण किया है, जो कि सीमावर्ती इलाके के किसानों के लिये भारी चिंता का विषय है. हालांकि किसान अपने स्तर पर टिड्डी हमले से निपटने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन लाखों की संख्या में आई टिड्डियों का यह हमला स्वाभाविक नहीं लगता न ही प्राकृतिक लगता है. 



राजस्थान में भी हुआ है टिड्डी-दल का हमला 


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गुजरात की ही तरह राजस्थान में भी टिड्डियों ने हमला किया है और बाड़मेर और जालोर के बाद अब जैसलमेर और उदयपुर जिले के कुछ क्षेत्रों में भी टिड्डी दल देखा जा रहा है. प्रशासन हालांकि टिड्डी नियंत्रण के लिए सभी संभव उपाय करने के निर्देश जारी कर चुका है लेकिन ये उपाय पर्याप्त नज़र नहीं आते. टिड्डियों का ये हमला राजस्थान के इन जिलों में रबी फसलों और विशेषकर गेहूं, सरसों, चना आदि की फसलों की भारी तबाही कर सकता है. 


दोनों सीमावर्ती राज्यों में एक ही समय में हुआ हमला


सर्दियों में टिड्डी दलों का निकलना कोई नई बात नहीं है लेकिन पकिस्तान से आ रही इन टिड्डियों की भारी तादात किसी और तरफ इशारा करती है. अभी दोनों राज्यों में इन टिड्डियों के हमले से हुए नुकसान के पूरे आंकड़े नहीं आये हैं किन्तु आशंका पूरी है कि किसानों के खेतों पर इनके हमले से होने वाला ये नुकसान सामान्य नुकसान नहीं होगा. 



2017 में पाकिस्तान ने ली थी जैविक युद्ध की ट्रेनिंग 


दो साल पहले आई एक खुफिया रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि पकिस्तान भारत के खिलाफ रासायनिक हमले की तैयारी कर रहा है. इस युद्ध के लिए चीन पकिस्तान को प्रशिक्षण देने वाला था. रिपोर्ट के अनुसार - 'बीस आर्मी ऑफिसर्स जिनमें पाक आर्मी के प्रमुख और कप्तान के रैंक के अधिकारी थे,  पहले ही चीन में जैविक युद्ध के प्रशिक्षण के लिए जा चुके थे.''


क्या होता है जैविक युद्ध 


जैविक युद्ध को अंग्रेजी में बायोलॉजिकल वारफेयर के नाम से जाना जाता है. इसके अंतर्गत शत्रु देश को  कीटाणु युद्ध करके नेस्तोनाबूद करने की रणनीति होती है. इसके अलावा जैविक युद्ध के तहत किसी व्यक्ति, पशु अथवा पौधे को मारने के उद्देश्य से जीवाणु, विषाणु अथवा फफूंद जैसे जैविक तत्वों को हथियार बना कर उनके माध्यम से हमला करने की तकनीक पर काम होता है. जैविक युद्ध में प्रायः घातक विषैले अथवा संक्रमणकारी तत्वों का उपयोग किया जाता है.



जैविक हथियार तैयार कर रहा है पाक का बड़ा भाई


चीन युद्ध के इस घातक रूप को लेकर तैयारी करने के लिए पहले ही रोशनी में आ चुका है. ये बात दीगर है कि उसकी जैविक युद्ध की तैयारी कहाँ तक पहुंची और किस-किस तरह के जैविक हथियार चीन में तैयार हो रहे हैं अथवा उसके निशाने पर कौन-कौन से देश हैं, यह कहना मुश्किल है. किन्तु 1980 के दशक के अंतिम दौर में चीन के एक जैविक हथियार संयंत्र में हुई गंभीर दुर्घटना ने इस खतरे को लेकर सारी दुनिया को सशंक किया था. 


उत्तर कोरिया से भी आई है जैविक युद्ध की तैयारियों की खबर 


दो साल पहले सामने आई एक खुफिया रिपोर्ट ने दुनिया के सामने उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह के खतरनाक इरादे बेनकाब किये थे. इस रिपोर्ट के अनुसार अपने परमाणु कार्यक्रम के साथ-साथ उत्तर कोरिया ने भी अब जैविक हथियारों की तैयारी शुरू कर दी है.  


रूस ने भी की थी तैयारी जैविक युद्ध की


दशकों पहले अमेरिका और रूस के बीच चल रहे वैश्विक शीत युद्ध के दौरान रूस ने भी ऐसी ही तैयारी की थी. साठ के दशक में एक दौर ऐसा हुआ करता था जब सोवियत संघ (रूस) जैवीय युद्ध की तैयारी का ठिकाना हुआ करता था. सत्तर के दशक में इस देश में कई जैविक हथियारों के परीक्षण की जानकारियां सामने आई थीं. 



वारदात फिल्म थी जैविक युद्ध पर बनी देश की प्रथम फिल्म 


तीन दशक पहले 1981 में रविकांत नगाइच निर्देशित और मिथुन चकवर्ती अभिनीत फिल्म ने पहली बार इस विषय को लेकर देश को चेताया था. इस फिल्म की पटकथा जैविक युद्ध के हमले को केंद्र में रख कर बनाई गई थी जिसमें एक पागल वहशी किस्म के खलनायक ने टिड्डियों जैसे कीट-पतंगों को अपना हथियार बना कर हमला कराया था. 


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