नई दिल्ली.  भारत के नागरिक चीनी सामान का बायकाट करें या न करें - यह एक गंभीर प्रश्न है. चीन को ड्रैगन कहा जाता है पर वास्तव में वह ड्रैगन होने से ज्यादा एक बनिया देश है. लेकिन यही बनिया देश जब सीमा पर अपनी सेना ले कर खड़ा हो जाये और हमसे दो-दो हाथ को आमादा नजर आये तो उसे बनिया नहीं दुश्मन ही मानना होगा. दुश्मन चीन की भारत सीमा पर बदतमीज हरकत काबिले माफी नहीं है लेकिन सब्र और शांति से जब काम चल सकता है तो पलटवार बेहतर विकल्प नहीं. शांतिप्रिय राष्ट्र भारत ने फिर भी दुश्मन को बता दिया है कि भारत दबाव में नहीं आने वाला है और ईंट का जवाब ईंट से देने को तैयार है. किन्तु समानान्तर रूप से देश चीन के बायकाट की बात भी उठ रही है, क्या यह कदम फायदेमन्द होगा?


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भारत के संबंध अब तक बुरे नहीं थे


डोकलाम की घटना या आज की लद्दाख की घटना को छोड़ दिया जाए तो भारत के चीन के साथ संबंध अच्छे थे. इसी वजह से जब दुनिया के एक सौ बीस देशों ने कोरोना कॉन्सपिरेसी का आरोपी चीन को बनाया है तो भारत ने चुप्पी साध रखी है . भारत का चीन के साथ करीब पांच-छह लाख करोड़ का व्यापार चल रहा है जिसमें चीन ही फायदे में है. अब चीनी सेना के भारतीय सीमा पर हमलावर रुख को देख कर यदि भारत के देशप्रेमी चीन के सामन के बहिष्कार की बात कर रहे हैं तो यह स्वाभाविक ही है.


चीन के साथ व्यापारिक लॉकडाउन ठीक नहीं होगा


दुश्मन चीन के सामान के बहिष्कार में फायदे हैं तो नुकसान भी काफी हैं. देशप्रेमी भारतीयों की भावना समझी जा सकती है किन्तु देश की सरकार के द्वारा चीन के साथ व्यापार के लॉकडाउन का ऐलान नहीं किया जा सकता क्योंकि ऐसा करने पर भारत का जो सामान चीन खरीदता है वह भारत से वह निर्यात बंद हो जाएगा. हालांकि भारत का तो नुकसान होगा किन्तु चीन का चौगुना नुकसान होगा.



 


भारत को लगेगी 18 बिलियन डॉलर्स की चोट


भारत चीन का लगभग 74 बिलियन डाॅलर का माल आयात करता है और उसे करीब 18 बिलियन डाॅलर का सामान निर्यात करता है. चीन के साथ व्यापार बहिष्कार की घोषणा से आयात बंद होगा तो निर्यात भी बंद होगा. इससे होगा ये की भारत के लाखों व्यापारी और कर्मचारी इस व्यापारबंदी के शिकार हो कर  बेरोजगार हो जाएंगे. देश में आज कोरोना के कारण करोड़ों लोग पहले ही बेरोजगार हो गए हैं, ऐसे में ऐसा फैसला दुहरी मार मरेगा देश की अर्थव्यस्था को भी और देशवासियों को भी.


चीनी कंपनियां भारत में भी काम कर रही हैं


हमें इस तथ्य को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए कि चीन की कई कंपनियां भारत में काम कर रही हैं. इतना ही नहीं भारत की कई कंपनियों में चीन ने पैसा भी लगा रखा है दूसरे शब्दों में कहें तो कई भारतीय कंपनियां देश में चीनी कंपनियों की पार्टनरशिप के साथ काम कर रही हैं. ऐसे में सरकार यदि जनभावनाओं को ध्यान में रख कर चीन के साठ व्यापारिक लॉकडाउन का ऐलान कर देगी तो कई तरह की समस्याएं खड़ी हो सकती हैं जिससे देश को आर्थिक चोट भी लगेगी और बहुत से लोग बेरोजगार भी हो जाएंगे.


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