नई दिल्लीः राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने रविवार को कहा कि 2024 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मुकाबला करने वाले किसी भी गठबंधन के केंद्र में कांग्रेस को होना चाहिए. सिब्बल ने यह भी कहा कि सभी विपक्षी दलों को एक मजबूत गठबंधन बनाने के लिए संवेदनशील होने के साथ ही एक-दूसरे की विचारधाराओं की आलोचना करने में सावधानी बरतनी चाहिए.


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विपक्षी पार्टियों से की ये अपील
 विपक्ष की प्रमुख आवाज रहे सिब्बल ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का विरोध करने वाले सभी राजनीतिक दलों से पहले एक साझा मंच तलाशने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि यह साझा मंच उनका नवगठित संगठन ‘इंसाफ’ भी हो सकता है, जो अन्याय से लड़ने के लिए बनाया गया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सिब्बल ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि 2024 के लिए विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व के सवाल का इस स्तर पर जवाब देने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने 2004 का उदाहरण भी दिया, जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार विपक्ष का चेहरा घोषित नहीं होने के बावजूद लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता से बाहर हो गई थी.


कांग्रेस को लेकर कही ये बात
 उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस को निश्चित तौर पर 2024 में भाजपा का मुकाबला करने वाले विपक्षी दलों के किसी भी गठबंधन के आधार और केंद्र में होना चाहिए. यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों का सामना कर रहे अडाणी समूह का समर्थन करने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार के बयान ने विपक्षी एकता को झटका दिया है, सिब्बल ने कहा, ‘‘यदि आप मुद्दों को संकुचित दायरे में देखते हैं, तो राजनीतिक दलों के बीच मतभेद होंगे. यदि आपके पास एक व्यापक सहयोगी मंच है, जो मुद्दों को संकुचित दायरे में नहीं करता है तो आम सहमति की संभावना बहुत अधिक होगी.


उन्होंने कहा, ‘‘यदि राहुल गांधी का भारत में सांठगांठ वाले पूंजीवाद के संदर्भ में कोई दृष्टिकोण है, तो मुझे लगता है कि शरद पवार जी सांठगांठ वाले पूंजीवाद से संबंधित एक मंच के खिलाफ नहीं होंगे, जो व्यक्तियों को व्यापक परिप्रेक्ष्य में लाता है. इसलिए हमें इस व्यापक मंच की आवश्यकता है, जिसके आधार पर हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि विपक्ष एकजुट हो.


सिब्बल ने कहा कि जैसे ही मुद्दों को संकुचित किया जाता है, दिक्कतें उत्पन्न होती हैं और उन्होंने ऐसे दलों का उदाहरण दिया जिनका रुख किसी विशेष कानून पर अलग-अलग होता है. सिब्बल ने कहा, ‘‘आपको अलग-अलग दलों को भिन्न-भिन्न विचार रखने की अनुमति देनी चाहिए. हमें राहुल गांधी को किसी व्यक्ति पर एक विचार रखने और शरद पवार को अपना दृष्टिकोण रखने देना चाहिए. यह असहमति का उदाहरण नहीं होना चाहिए.


विपक्षी एकता पर क्या बोले सिब्बल
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक विपक्षी एकता का संबंध है, यह पहला कदम है. हमें राजनीतिक दलों को एक-दूसरे के प्रति अधिक उदार होने और एक-दूसरे को उनके स्वयं के वैचारिक आधार के लिए जगह देने की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही एक ऐसी सरकार से लड़ने के लिए एकजुट होने की जरूरत है जो भारत के लोगों को चुप कराने और इस तथाकथित लोकतंत्र को एक निरंकुश देश में बदलने पर तुली हुई है.’’ सिब्बल ने कहा कि संयुक्त विपक्ष के लिए एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम एक ‘मुश्किल काम’ है और यह आम चुनाव से कुछ महीने पहले ही तय किया जाएगा. 


यह पूछे जाने पर कि क्या 2024 की ओर आगे बढ़ने के लिए अडाणी मुद्दा और जातिगत जनगणना विपक्ष के लिए प्रमुख मुद्दे हैं, सिब्बल ने कहा कि वह यह नहीं कह सकते हैं, क्योंकि वह संसद के एक निर्दलीय सदस्य हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि जातिगत जनगणना का मुद्दा एक बड़ा मुद्दा है. यह कई राज्यों में, विशेष रूप से उत्तर भारत में एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन क्या यह एक एकीकृत कारक होगा या इसे राष्ट्रीय मुद्दे के रूप में पेश किया जाएगा, मैं संभवतः नहीं कह सकता.’’ अडाणी मुद्दे पर, सिब्बल ने कहा कि मुद्दा ए, बी या सी के बारे में नहीं है, मुद्दा यह है कि कैसे सरकार और बड़े समूह संसाधनों, मीडिया, सत्ता के केंद्रों और केंद्रीय एजेंसियों को नियंत्रित करने के लिए एक दूसरे के साथ सहयोग कर रहे हैं.


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