पुलिस कॉन्स्टेबल का बेटा कैसे बना अंडरवर्ल्ड डॉन... पढ़ें दाऊद इब्राहिम का पूरा कच्चा-चिट्ठा
Dawood Ibrahim History: साल 1955 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी में दाऊद इब्राहिम पैदा हुआ. दाऊद के माता-पिता ने उसका नाम शेख दाऊद इब्राहिम कासकर रखा. पिता शेख इब्राहिम अली कासकर मुंबई पुलिस में हवलदार हुआ करते थे.
नई दिल्ली: Dawood Ibrahim History: डोंगरी इलाके में रहने वाला एक 7 साल का लड़का, जो मोहल्ले में अपने हमउम्र बच्चों के साथ खेलता है. पास ही के चाचा की दुकान से मीठी गोलियां खरीदता है. पिता मुंबई पुलिस में ईमानदार सिपाही हैं. वक्त बीतता है, अब उसकी उम्र 67 साल हो चुकी है. अचानक से खबर आती है कि उसे पाकिस्तान में जहर दे दिया गया है. पूरा देश ठप्प पड़ जाता है, ट्विटर और गूगल डाउन पड़ जाता है. इधर, भारत में भी हलचल बढ़ जाती है, मुंबई पुलिस यह जानने में जुट जाती है कि भारत के मोस्ट वांटेड अंडरवर्ल्ड डॉन को सच में जहर दिया गया है, या महज एक अफवाह है. डोंगरी के इलाके में रहने वाले और पाकिस्तान में कथित तौर पर जहर का शिकार होने वाले इस शख्स का नाम दाऊद इब्राहिम है. एक समय ऐसा भी था जब बंबई की सड़कों पर दाऊद का नाम पुकारने की हिम्मत भी कोई नहीं करता था.
कैसे हुई शुरुआत
साल 1955 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी में दाऊद इब्राहिम पैदा हुआ. दाऊद के माता-पिता ने उसका नाम शेख दाऊद इब्राहिम कासकर रखा. पिता शेख इब्राहिम अली कासकर मुंबई पुलिस में हवलदार हुआ करते थे. परिवार आम जिंदगी चाहता था. लेकिन जैसे-जैसे दाऊद बड़ा होता गया, उसमें लग्जरी लाइफ जीने की चाहत बढ़ गई. वह मोहल्ले के आवारा लड़कों के साथ घूमने लगा. पिता नेबहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन नहीं माना. धीरे-धीरे चोरी, डकैती और तस्करी करने लगा. जब पिता तक ये बात पहुंची तो उन्होंने दाऊद के घर से निकाल दिया. फिर दाऊद उस वक्त बंबई के कुख्यात गैंगस्टर करीम लाला के गैंग में शामिल हो गया. यहां से वह हाजी मस्तान की गैंग में गया.
बंबई में कत्लेआम
फिर दाऊद और हाजी मस्तान का विवाद हो गया. दाऊद ने हाजी को टक्कर देने की सोची और अपनी नई गैंग खड़ी कर ली. 1980 के दशक में मुंबई में करीम लाला और हाजी मस्तान के गैंग की तूती बोला करती थी. लेकिन दाऊद इनसे भी चार कदम आगे निकला. काफी कम समय में दाऊद ने इन दोनों को पीछे छोड़ दिया और बंबई का सबसे बड़ा डॉन बन गया. इसके बाद बंबई के ही पठान गैंग ने दाऊद के भाई शब्बीर को मार दिया. भाई की मौत से बौखलाए दाऊद ने पठान गैंग के हर मेंमबर को मारने का फरमान जारी कर दिया. रोज होने वाले कत्लेआम से पूरा बंबई सहम गया था.
कैसे बनी डी कंपनी
इसी दौरान दाऊद दुबई भाग गया. दावा किया जाता है कि वहां पर दाऊद एक आलीशान बंगले में रहा करता था. इसका नाम ‘व्हाइट हाउस’ था. यहां पर दाऊद क्राइम कि दुनिया के बड़े-बड़े नामों को बुलाता. दाऊद की गैंग बंबई में लगातार एक्टिव थी. इसे छोटा राजन चलाता था. दाऊद बंबई में टारगेट किलिंग कराता था. मीडिया ने दाऊद की गैंग को डी कंपनी नाम दे दिया. डी कंपनी सुपारी किलिंग, पैसे की उगाही, हथियार तस्करी और ड्रग तस्करी के अलावालावा आतंकी गतिविधियों में भी लिप्त थी.
फिल्म इंडस्ट्री में पैसा लगाया
दाऊद के पास इतना पैसा हो गया कि वह फिल्म इंडस्ट्री में भी इन्वेस्ट करने लगा. वह दूसरे के नाम से फिल्मों में पैसा लगाने लगा. तभी दाऊद का नाम 1993 ब्लास्ट में नाम आया. इस ब्लास्ट में करीब 250 लोग मारे गए थे. इसके बाद मुंबई पुलिस एक्टिव हुई और दाऊद का दखल खत्म करने के लिए एनकाउंटर ऑपरेशन शुरू किया. सैंकड़ों एनकाउंटर करने के बाद मुंबई से दाऊद का प्रभाव हटा.
बन गया ग्लोबल टेररिस्ट
1993 की घटना के बाद दाऊद भारत सरकार ने दाऊद को मोस्ट वांटेड अपराधी ग्घोषित कर दिया. 2003 में भारत ने अमेरिका की मदद से दाऊद को ग्लोबल टेररिस्ट (वैश्विक आतंकवादी) घोषित करा दिया. फोर्ब्स मैगजीन- 2011 में दुनिया की मोस्ट वांटेड टॉप-10 अपराधियों की लिस्ट जारी हुई. इसमें में दाऊद पहले नंबर पर था. यह दावा भी किया जाता है कि 26/11 के हमलों में भी दाऊद का हाथ बताया जाता है. बीते कई सालों से दाऊद पाकिस्तान में है, लेकिन कई सालों से उसकी एक भी तस्वीर सामने नहीं आई है.
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