आकाश आनंद को दोबारा उत्तराधिकारी बनाकर मायावती ने दिए क्या संदेश, कैसे बदलेगी BSP की रणनीति
आकाश आनंद को दोबारा उत्तराधिकारी बनाकर मायावती ने भविष्य में बीएसपी की रणनीति में अहम बदलाव के संकेत दिए हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में बीएसपी आक्रामक रणनीतिक के साथ उतर सकती है.
लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी यानी बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद एक बार फिर से उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है. आकाश आनंद को फिर से पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बना दिया गया है. खुद मायावती ने इसका ऐलान किया है. हाल में आकाश आनंद को उत्तराखंड में होने वाले उपचुनाव के लिए पार्टी ने स्टार प्रचारक बनाया था. इस लिस्ट में पहले स्थान पर बसपा मुखिया मायावती और दूसरे नंबर पर आकाश आनंद का नाम है.
बीएसपी की अहम बैठक में फैसला
दरअसल मायावती ने रविवार को बीएसपी के सभी प्रदेश प्रमुखों के साथ करीब 3 घंटे तक बैठक की. बैठक में आकाश आनंद भी शामिल हुए. बैठक में भतीजे आकाश आनंद ने बसपा प्रमुख के पैर भी छूए. मायावती ने भी भतीजे की पीठ थपथपाई और सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया. इसी के साथ मायावती ने आकाश आनंद को उनके पद पर बहाल करते हुए नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी बनाया है. मायावती ने बैठक में बताया कि हमारी पार्टी यूपी समेत सभी जगहों पर उपचुनाव लड़ेगी.
चुनाव के बीच में मायावती ने हटाया था
बता दें कि लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान सीतापुर में भड़काऊ भाषण देने के बाद बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को मायावती ने अहम जिम्मेदारियों से हटा दिया था. इसकी वजह उनका अपरिपक्व होना बताया गया था. आकाश आनंद ने सीतापुर में जनसभा के दौरान भाजपा नेताओं की तुलना आतंकवादियों से की थी. साथ ही, उन्हें जूतों से मारने की बात कही थी. इसके बाद बसपा सुप्रीमो ने आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद और अपने उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी से हटाने का ऐलान किया था.
क्या है बीएसपी की रणनीति?
आकाश आनंद अपने आक्रामक भाषणों से लोकसभा चुनाव के वक्त ही पहचान बनाने लगे थे. लेकिन उनके कुछ बयान इतने विवादित हुए कि मायावती को उन्हें हटाना पड़ा था. अब अगले कुछ महीनों के दौरान उपचुनावों के साथ कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. ऐसे में मायावती ने आकाश आनंद को दोबारा उत्तराधिकारी बनाकर संकेत दे दिए हैं कि निकट भविष्य में बीएसपी अपने आक्रामक एजेंडे पर लौट सकती है. इसके साथ ही बीएसपी अपने आधारभूत वोटबैंक को फिर से साथ जोड़ने और नए जातीय समहूों को भी अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश करेगी. पार्टी की इन रणनीतियों का नतीजा भविष्य के चुनाव में दिख सकता है.
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