Weekly Vrat Festivals List: इस सप्ताह संकष्ठी चतुर्थी, कालाष्टमी और कालभैरव जयंती समेत कई व्रत और त्योहार हैं जिनका हिंदू धर्म में बहुत महत्व बताया गया है. आइये जानते हैं 18 से 24 नवंबर के बीच कौन से व्रत त्योहार पड़ रहे हैं.
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Weekly Vrat Festivals List: माघशीर्ष में शुरू हो चुका है जिसे हिंदू धर्म भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण का सबसे प्रिय महीना बताया गया है. इस माह के पहले सप्ताह गणांधिप संकष्ठी चतुर्थी, कालाष्टमी और कालभैरव जंयती जैसे व्रत और महत्वपूर्ण पर्व पड़ रहे हैं. जिनका हिंदू धर्म में अपना ही महत्व है. आपको विस्तार से बताते है इस सप्ताह पड़ने वाले व्रत-त्योहारों की तारीख, महत्व, पूजा विधि और पूजा का शुभ मुहूर्त.
18 से 24 नवंबर तक व्रत-त्योहारों की पूरी लिस्ट
(Vrat-Festival List from 18 to 24 November 2024)
18 नवंबर 2024: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है. इसे संकटों को दूर करने और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है. इस दिन व्रत रखने से परिवार में शांति और खुशहाली बनी रहती है.
पूजा विधि
-प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें.
- भगवान गणेश की मूर्ति के सामने दीप प्रज्वलित करें.
- लाल वस्त्र, दूर्वा, मोदक और पुष्प अर्पित करें.
- "ॐ गण गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें.
- चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें.
शुभ मुहूर्त
- चंद्रोदय का समय: रात्रि 9:30 बजे के आसपास.
- पूजा का उत्तम समय: चंद्रोदय से पहले.
22 नवंबर 2024: कालभैरव जयंती
कालभैरव जयंती भगवान शिव के उग्र और रक्षक स्वरूप कालभैरव का जन्मोत्सव है. यह दिन बुरी शक्तियों से रक्षा और मानसिक शांति के लिए विशेष माना जाता है.
पूजा विधि
- सुबह स्नान के बाद भगवान शिव और कालभैरव की पूजा करें.
- दीप, धूप, काले तिल, सरसों के तेल का दीपक और लड्डू चढ़ाएं.
- कालभैरव अष्टक और "ॐ कालभैरवाय नमः" मंत्र का जाप करें.
- रात्रि में भैरव मंदिर में दर्शन और सेवा करें.
शुभ मुहूर्त
- पूजा का समय: प्रातः 6:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक।
- मध्यरात्रि पूजा विशेष फलदायी होती है.
23 नवंबर 2024: कालाष्टमी
कालाष्टमी भगवान भैरव की पूजा के लिए विशेष दिन है. इसे काल और मृत्यु के भय से मुक्ति पाने और सकारात्मक ऊर्जा के लिए मनाया जाता है.
पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें.
- भगवान भैरव और उनकी सवारी कुत्ते की पूजा करें.
- तिल, सरसों का तेल, काले कपड़े और दीपक अर्पित करें.
- "जय भैरव देव" मंत्र का जाप करें.
- जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान करें.
शुभ मुहूर्त
- पूजा का समय: सुबह 5:30 बजे से रात 8:30 बजे तक.
- रात्रि पूजन विशेष फलदायी माना जाता है.
Disclaimer: दी गई जानकारी पंचांग और ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है. ZEE UP/UK इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता.
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