West Bengal: ममता को बड़ा झटका, चुनाव बाद हुई हिंसा पर जांच टीम गठित
कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश के बाद मानवाधिकार आयोग ने जांच समिति का गठन कर दिया है.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में जब से ममता बनर्जी की सत्ता में वापसी हुई है उसके बाद से बंगाल में राजनीतिक हिंसा की घटनाएं बहुत बढ़ गई हैं.
2 मई को चुनाव नतीजे आने के बाद 3-4 मई को राजनीतिक प्रतिशोध के चलते कई विपक्षी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया. इस मामले पर कोलकाता हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
हाईकोर्ट ने दी थी समिति गठित करने के आदेश
कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश के बाद मानवाधिकार आयोग ने जांच समिति का गठन कर दिया है. कलकत्ता हाई कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के बाद यह समिति बनाई गई है, जो हिंसा के मामलों की जांच करेगी और कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगी.
समिति के गठन का विरोध कर रहीं बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के लिए इसे करारा झटका माना जा रहा है.
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इससे पहले सोमवार को हाई कोर्ट ने टीएमसी की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें 18 जून के उस आदेश को रोकने की मांग की गई थी, जिसके तहत समिति के गठन का फैसला दिया गया था.
7 सदस्यों की समिति करेगी जांच
मानवाधिकार आयोग के चेयरपर्सन रिटायर्ड जस्टिस अरुण मिश्रा ने समिति का गठन कर दिया है. इस 7 सदस्यीय समिति में अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद, महिला आयोग की सदस्य राजुलबेन एल. देसाई, पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार पंजा को शामिल किया गया है. इस समिति की अध्यक्षता मानवाधिकार आयोग के सदस्य राजीव जैन करेंगे.
राज्यपाल जगदीप धनकड़ पहले से ममता सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि राज्य में कानून व्यवस्था लगातार बिगड़ रही है और कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.
उन्होंने कहा कि मैं हैरान हूं कि चुनाव समाप्त होने के 7 सप्ताह के बाद भी इस तरह के हालात को नजरअंदाज किया गया है. आजादी के बाद यह सबसे बड़ी चुनावी हिंसा है.
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