शिवराज की मंत्री बोलीं- `बलात्कारियों को चौराहे पर हो फांसी` तो उनके खिलाफ जांच बैठाने का आदेश
मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के बलात्कारियों को चौराहे पर फांसी पर लटकाए जाने के सुझाव और मानवाधिकार आयोग पर उनकी आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग ने बृहस्पतिवार को गहरी नाराजगी जताई.
नई दिल्लीः मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के बलात्कारियों को चौराहे पर फांसी पर लटकाए जाने के सुझाव और मानवाधिकार आयोग पर उनकी आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग ने बृहस्पतिवार को गहरी नाराजगी जताई. आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को जांच का निर्देश दिया है.
15 दिन में मांगी गई है रिपोर्ट
निर्देश के मुताबिक, वह संस्कृति मंत्री के विवादास्पद बयान की जांच किसी जिम्मेदार अधिकारी से कराएं और इस विषय में राज्य सरकार की ओर से स्थिति स्पष्ट करते हुए 15 दिन में रिपोर्ट सौंपें. एक बयान में कहा गया है कि राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य मनोहर ममतानी ने मीडिया में आयी खबरों के आधार पर संस्कृति मंत्री के विवादास्पद कथन पर संज्ञान लेकर सूबे के मुख्य सचिव से 15 दिन में जांच रिपोर्ट तलब की है.
उषा ठाकुर ने हाल में दिया था ये बयान
आयोग के सदस्य ने यह भी कहा, "जांच रिपोर्ट राज्य सरकार के किसी जिम्मेदार अधिकारी के जरिये पेश की जाए जिससे इस मामले में शासन की गंभीरता पर भी विचार किया जा सके." ठाकुर ने अपने विधानसभा क्षेत्र महू में एक हालिया सार्वजनिक कार्यक्रम में यह बयान दिया था.
'बलात्कारियों का अंतिम संस्कार मत होने दो'
सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में संस्कृति मंत्री को कहते सुना जा सकता है, ‘मैं यह चाहती हूं कि बेटियों के बलात्कारियों को चौराहे पर फांसी दे दो और इनका अंतिम संस्कार मत होने दो.’ वीडियो में ठाकुर को कहते सुना जा सकता है कि बलात्कारियों को चौराहे पर फांसी दिए जाने के बाद उनके शवों को वहीं लटके रहने दिया जाए ताकि चील-कौवे उन्हें नोंच-नोंचकर खा जाएं.
उन्होंने आगे कहा, ‘जब सब लोग इस दृश्य को देखेंगे तो कोई दोबारा बेटियों को हाथ लगाने की हिम्मत नहीं करेगा.’ वीडियो में संस्कृति मंत्री मानवाधिकार आयोग पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी करती भी सुनाई पड़ रही हैं.
मंत्री के आपत्तिजनक बयान पर नाराजगी
आयोग की विज्ञप्ति में कहा गया कि आयोग ने पाया है कि प्रदेश सरकार में मंत्री स्तर के सम्मानजनक पद पर रहते हुए ठाकुर ने भारतीय संविधान की मूल भावना और मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए गठित मानवाधिकार आयोग जैसी संस्था के विरुद्ध अनुचित और आपत्तिजनक बयान दिया.
‘लोक सेवक से ऐसा कथन अपेक्षित नहीं’
विज्ञप्ति में आयोग के हवाले से कहा गया, ‘एक लोक सेवक से ऐसा कथन अपेक्षित नहीं है.’ इसमें इस बात को रेखांकित किया गया कि ठाकुर यह शपथ लेकर मंत्री पद पर काम कर रही हैं, ‘वह विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखेंगी और सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि अनुसार न्याय करेंगी.’
'दंड को बर्बरतापूर्ण बनाता है आयोग का बयान'
राज्य मानवाधिकार आयोग ने उच्चतम न्यायालय की नजीरों और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा, 'बंदियों के भी मौलिक अधिकार होते हैं.' आयोग ने कहा कि दुष्कर्मियों को बीच चौराहे फांसी पर लटका कर उनके शवों को चील-कौओं के खाने के लिए छोड़ देने के बारे में ठाकुर का बयान दण्ड को बर्बरतापूर्ण बनाता है.
शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में शामिल ठाकुर के पास पर्यटन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व के महकमे भी हैं. वह पहले भी अलग-अलग विषयों पर विवादास्पद बयान दे चुकी हैं.
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