नई दिल्ली: भारत और जर्मनी के बीच आपसी रिश्तों की मजबूती पर आज एक नई मुहर लग गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद हाउस में जर्मनी की चांसलर ऐंगेला मर्केल से मुलाकात की. और मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने साझा बयान जारी किया. इस मौके पर दोनों देशों के बीच 17 समझौतों का भी ऐलान किया गया.


मोदी-मर्केल की दोस्ती


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शुक्रवार को जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 5वीं भारत-जर्मनी इंटर-गवर्मेंट कंसल्टेशन की बैठक में हिस्सा लिया. इस दौरान दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष, उड्डयन, नौसैन्य तकनीक, चिकित्सा और शिक्षा समेत समेत कई क्षेत्रों में 17 समझौतों पर सहमति बनी. सबसे बड़ी बात ये रही कि दोनों देशों ने आतंकवाद और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दों पर आसपी सहयोग की प्रतिबद्धता जताई.



नीचे देेखें- हस्ताक्षर हुए MoU की सूची



इस मौके पर पीएम मोदी ने जर्मनी को डिफेंस सेक्टर में निवेश के लिए न्यौता दिया. तो जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने भी भारत की तारीफ करते हुए कहा कि भारत की विविधता भरी संस्कृति से हमेशा कुछ न कुछ सीखने को मिलता हैं. जर्मन चांसलर ने दोनों देशों के बीच शिक्षा क्षेत्र में संबंधों को और मजबूत बनाने पर भी जोर दिया.



'भारत और जर्मनी का गहरा नाता'


जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने इस दौरान कहा कि 'जर्मनी में 20000 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. हम इस संख्या को और बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं. वोकेशनल ट्रेनिंग और स्किल बेस्ड लर्निंग प्रोग्राम जैसे क्षेत्रों में हम चाहते हैं कि शिक्षकों के लिए ट्रेनिंग एक्सचेंज प्रोग्राम हों. जलवायु संरक्षण और स्थिर विकास के क्षेत्र में भी हम सहयोग बढ़ाना चाहते हैं.'


बापू को श्रद्धांजलि


हैदराबाद हाउस में हुई बैठक से पहले जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल का राष्ट्रपति भवन में जोरदार स्वागत किया गया. राष्ट्रपति भवन में एंजेला मर्केल की आगवानी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की. इसके साथ ही उन्हे गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया. जर्मन चांसलर ने राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधी पर जाकर श्रद्धांजलि भी दी.



अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में जर्मनी सालों से भारत का बेहद अहम दोस्त रहा है. जर्मनी भारत का बड़ा व्यापारिक साझेदार है. इतना ही नहीं आतंकवाद का मुद्दा हो या फिर कश्मीर का मुद्दा जर्मनी हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है. ऐसे में एक ओर जहां पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर दुनिया के हर मंच पर छाती पीट-पीटकर मातम मना रहा है, तो वहीं जर्मन चांसलर का ये दौरा कूटनीतिक लिहाज से भारत के लिए बेहद अहम है.