नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 31 अक्टूबर को ग्रेटर नोएडा आ रहे हैं. वह यहां पर देश के सबसे बड़े और प्रदेश के पहले डेटा सेंटर का लोकार्पण करेंगे. इस परियोजना के पहले चरण को 2 साल में पूरा कर लिया गया है और अत्याधुनिक तकनीक से इस डेटा सेंटर को पूरी तरीके से लैस कर दिया गया है. इसमें देश के करीब 60 प्रतिशत लोगों का डेटा सुरक्षित रखा जाएगा. 


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इसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के करोड़ों उपभोक्ताओं का डेटा सुरक्षित रखा जाएगा. साथ ही साथ बैंकिंग, व्यापार, स्वास्थ्य सेवा, यात्रा संबंधित अन्य डेटा भी यहां सुरक्षित होंगे.


क्या होता है डेटा सेंटर
धीरे-धीरे बड़ी-बड़ी कंपनियां अब लोगों के डेटा सेंटर बनाने पर जोर दे रही हैं. डेटा सेंटर वह जगह होती है, जहां पर डेटा स्टोरेज के साथ-साथ सूचनाओं की प्रोसेसिंग की जाती है. उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी डेटा सेंटर की होती है. इसमें बड़ी संख्या में सर्वर स्थापित किए जाते हैं. डेटा को प्रोसेस कर जानकारियां सुरक्षित रखी जाती हैं. साथ ही किसी कंपनी या विशेष को अगर किसी डेटा की जरूरत होती है तो वह भी उसे मुहैया कराए जाते हैं.


कितना बड़ा होगा डेटा सेंटर
ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क पांच में बन रहे इस डेटा सेंटर में पहला टावर बनकर पूरी तरीके से तैयार हो चुका है. इसका उद्घाटन सीएम योगी 31 अक्टूबर को करेंगे. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने डेटा सेंटर बनाने के लिए हीरानंदानी ग्रुप को नॉलेज पार्क 5 में 15 अक्टूबर 2020 को करीब 116 करोड़ में 81000 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की थी. डेटा सेंटर का पहला टावर जुलाई 2022 में शुरू करने का लक्ष्य रखा गया था. 


सेंटर का पहला टावर बनकर तैयार
कोविड-19 के कारण इसमें देरी हो गई. सेंटर का पहला टावर अब बनकर तैयार हो गया है. इसकी क्षमता 30 मेगावाट डेटा स्टोर करने की है. बीते 2 वर्षों में एक टावर बंद कर पूरी तरह तैयार है, जिसका लोकार्पण किया जाएगा. वहीं अगर बात करें तो इस डेटा सेंटर में कुल 6 टावर बनाए जाएंगे, जिनको बनने में अभी वक्त लगेगा. सभी टावर बनने के बाद देश के लगभग 60 प्रतिशत लोगों का डेटा यहां पर सुरक्षित रखा जा सकेगा. 


अधिकारियों के मुताबिक, डेटा सेंटर में करीब 7000 करोड़ का निवेश होगा. इसके अलावा दो टावरों का निर्माण जनवरी 2022 में शुरू हो चुका है और इन दोनों टावरों की क्षमता 30 मेगावाट डेटा स्टोर करने की होगी. दोनों टावर जुलाई 2024 तक तैयार हो जाएंगे.


बिजली की होगी भरपूर खपत
डेटा सेंटर में बिजली आपूर्ति को लेकर नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (एनपीसीएल) ने कमर कस ली है. पूरे ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 150 सोसायटी, मॉल, स्कूल सबको मिलाकर अभी 130 मेगावाट बिजली की खपत होती है. अगर डेटा सेंटर की बात करें तो यहां पर अकेले 200 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करनी होगी. इसके लिए विशेष लाइन तैयार की जा रही है. ग्रेटर नोएडा वेस्ट की बात करें तो यहां पर 84 सोसायटी, 31 निमार्णाधीन प्रोजेक्ट, 10 माल, 15 से अधिक स्कूल और गांव है. गर्मी के मौसम में यहां पर 130 मेगावाट बिजली की मांग पहुंच गई थी.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट
साइबर एक्सपर्ट कनिका सेठ ने कहा, जितना बड़ा डेटा सेंटर होता है. उतनी ही इंटरनल और एक्सटर्नल सिक्योरिटी की जरूरत ज्यादा होती है. उन्होंने बताया कि एक डेटा सेंटर को कम से कम 5 साल तक डेटा रखना बेहद जरूरी होता है. उसको देखते हुए डेटा रखने के लिए कैपेसिटी का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया कि जब सोशल मीडिया के साथ-साथ बेहद जरूरी डेटा भी डेटा सेंटर में मौजूद होता है तो सिक्योरिटी की कई पदों का होना बेहद जरूरी होता है. 


इंटरनल हाई लेवल सिक्योरिटी पर विशेष नजर रखनी होती है, ताकि कोई भी घुसपैठिया साइबर अटैक के जरिए हमारे डेटा को नुकसान न पहुंचा सके या उसके साथ छेड़छाड़ ना कर सके. उनका कहना है कि प्रदेश के पहले डेटा सेंटर में देश और प्रदेश दोनों सरकारों का इंवॉल्वमेंट है इसलिए यह माना जा सकता है कि यहां पर रखा जा रहा डेटा बेहद सुरक्षित तौर पर यहां पर महफूज रहेगा.


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