तो पाकिस्तान हो जाएगा तबाह, बीता एक साल है गवाह
पुलवामा हमले को एक साल पूरे हो गए हैं. पाकिस्तान ने इसका बुरा अंजाम भी भुगत लिया. पिछले एक साल में भारत ने एक के बाद एक कर आतंकियों के खिलाफ कई कठोर कार्रवाई की और अब पाकिस्तान में इतनी हिम्मत नहीं है कि वो इस तरह की गुस्ताखी को दोहराए.
नई दिल्ली: एक साल बीत गए लेकिन पुलवामा में पाकिस्तान की कायराना हरकत के सबूत आज भी कायम है. जख्म इस सड़क पर ही नहीं, हर भारतीय के दिल पर भी हैं. भारत के शूरवीरों पर हमले का पाकिस्तान को करारा जवाब मिल चुका है. फिर भी, कंगाल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अक्सर भारत को गीदड़भभकी देते रहते हैं. लेकिन पाकिस्तान ने सोचा भी नहीं होगा कि अगर उसने पुलवामा जैसी हरकत दोहराने की कोशिश की तो ये उसके अस्तित्व पर ही भारी पड़ जाएगा.
बदली जमीनी हकीकत बदलेगी आतंकिस्तान की फितरत?
बालाकोट में वायुसेना की कार्रवाई के बाद कश्मीर घाटी में भी जैश की कोर टीम सुरक्षा बलों के निशाने पर रही. भारत की रणनीति की वजह से आतंकियों के कई बड़े कमांडर मारे गए. कश्मीर घाटी में वर्ष 2019 में 160 आतंकी मारे गए और 102 पकड़े गए. आतंकियों का वित्तीय नेटवर्क लगभग तबाह हो चुका है. वादी में लश्कर व हिज्ब जैसे संगठनों की कमान संभालने को कोई आतंकी कमांडर तैयार नहीं है.
आतंकिस्तान के कई कमांडर खत्म
बालाकोट आतंकी कैंप से ज्यादा उनके मंसूबों और उनके हौसले पर था. उस सदमे से अब तक न जैश उभर सका है और न पाकिस्तान. एलओसी के पार पाकिस्तानी इलाके में वायुसेना की कार्रवाई ने पूरे समीकरण बदल दिए. 26 फरवरी को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा के बालाकोट में अजहर मसूद के परिवार के कई सदस्य मारे गए. कहा तो ये भी गया कि इस हमले में खुद अजहर मसूद भी घायल हुआ. वायुसेना की इस कार्रवाई में करीब 300 आतंकी मारे गए थे. इससे न सिर्फ दुनिया को भारत की हवाई ताकत का अंदाजा हुआ बल्कि पाकिस्तान भी पूरी तरह सकते में आ गया.
मई 2019 तक 101 बड़े आतंकियों का खात्मा
पुलवामा के चंद दिन बाद ही घाटी में जैश सरगना गाजी रशीद तीन साथियों के साथ मारा गया. 22 अप्रैल तक कश्मीर में सभी प्रमुख जैश कमांडर मारे गए, इनमें से 19 पाकिस्तानी थे. हिजबुल, लश्कर और अंसार गजवात-उल हिंद और आइएसजेके जैसे आतंकी संगठनों के नेटवर्क पर तेजी से कार्रवाई की गई. दर्जनों ओवरग्राउंड वर्कर पकड़े गए. सुरक्षाबलों का रौद्र रूप देख आतंकी मांद में छिप गए. IS और AGH का नेटवर्क चार से पांच आतंकियों तक सिमट गया.
बालाकोट के बाद पाकिस्तानी सेना ने खुन्नस मिटाने के लिए एलओसी पर भारतीय सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाया और गोलाबारी तेज कर दी. 2019 में पिछले 15 वर्षों में सबसे अधिक 3289 बार पाकिस्तानी सेना ने सीज फायर का उल्लंघन किया. भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में 90 के करीब पाकिस्तानी सैनिक और अधिकारी मारे गए.
आतंकियों का वित्तीय नेटवर्क ध्वस्त
आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों के अभियान के साथ सुरक्षा एजेंसियों ने उनके वित्तीय नेटवर्क को भी ध्वस्त कर दिया. सबसे पहले क्रॉस LoC ट्रेड बंद किया गया. नारको टेररिज्म पर शिकंजा कसा गया और आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों की गिरफ्तारी तेज की गई. करीब 85 नशे के सौदागरों को दबोच लिया गया. टेरर फंडिंग में जुटे कई लोगों और अलगाववादियों की संपत्ति को सील कर दिया गया.
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पुलवामा हमले के बाद समीकरण बदल चुके हैं. आतंकियों का नेटवर्क लगभग धवस्त हो चुका है. पाकिस्तान की भी पोल खुल चुकी है. बेशक, पाकिस्तान को हर मोर्चे पर शिकस्त झेलनी पड़ी पर अभी भी वो नई साजिशें रच रहा है. आतंकिस्तान के कुछ तरफदार वादी में नई पीढ़ी के मन में जहर भरने की साजिश रचने में लगे हैं. लेकिन पाकिस्तान को ये बात अच्छी तरह से पता है. पुलवामा दोहाराया तो इस बार उसे ऐसा जवाब मिलेगा कि आतंकिस्तान की पीढियां इसे याद रखेंगी.
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