नई दिल्लीः  भारतीय नौसेना का पहला विध्वंसक, आईएनएस राजपूत शुक्रवार यानी की 21 मई को 41 साल बाद रिटायर कर दिया जाएगा. रक्षा मंत्रालय की ओर से ये जानकारी दी गई है. तत्कालीन यूएसएसआर द्वारा निर्मित आईएनएस राजपूत को पहली बार 4 मई, 1980 को कमीशन किया गया था, और इसने भारतीय नौसेना को 41 वर्षों से अधिक समय तक सेवा प्रदान की है.


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विशाखापत्तनम में होगा रिटायर
आईएनएस राजपूत को नौसेना डॉकयार्ड, विशाखापत्तनम में एक समारोह में सेवामुक्त किया जाएगा.



कोविड 19 महामारी के कारण समारोह एक साधारण कार्यक्रम होगा, जिसमें केवल इन-स्टेशन अधिकारी और नाविक शामिल होंगे, जिसमें कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाएगा.


 


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ऐसा रहा सफर
INS राजपूत का निर्माण निकोलेव (वर्तमान यूक्रेन) में 61 कम्युनार्ड्स शिपयार्ड में उनके मूल रूसी नाम ‘नादेजनी’ के तहत किया गया था, जिसका मतलब है ‘होप’. जहाज की नींव 11 सितंबर 1976 को रखी गई थी और उसे 17 सितंबर 1977 को लॉन्च किया गया था. जहाज को INS राजपूत के रूप में 1980 को पोटी, जॉर्जिया में कैप्टन गुलाब मोहनलाल हीरानंदानी के साथ USSR में भारत के राजदूत IK गुजराल की तरफ से कमीशन किया गया था. यानी कमोडोर (बाद में वाइस एडमिरल) गुलाब मोहनलाल हीरानंदानी इसके पहले कमांडिंग ऑफिसर थे.


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कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन
“राज करेगा राजपूत” के आदर्श वाक्य के साथ, INS राजपूत का वीर दल देश के समुद्री हित और संप्रभुता की रक्षा के लिए हमेशा सतर्क और ‘ऑन कॉल’ रहा है. देश की सुरक्षा के लिए इस जहाज ने कई अहम अभियानों में भाग लिया है, जिनमें IPKF की सहायता के लिए श्रीलंका में ऑपरेशन अमन, श्रीलंका के तट पर पेट्रोलिंग ड्यूटी के लिए ऑपरेशन पवन, मालदीव से बंधक स्थिति को हल करने के लिए ऑपरेशन कैक्टस और लक्षद्वीप से ऑपरेशन क्रॉसनेस्ट शामिल हैं.


उतारा जाएगा नौसेना का ध्वज
इस जहाज ने कई द्विपक्षीय और बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में भी हिस्सा लिया. ये जहाज भारतीय सेना रेजिमेंट- राजपूत रेजिमेंट से जुड़ने वाला पहला भारतीय नौसेना जहाज भी था. शानदार 41 सालों की सेवा के दौरान जहाज के टॉप पर 31 कमांडिंग ऑफिसर थे. 14 अगस्त 2019 को अंतिम ऑफिसर ने जहाज का कार्यभार संभाला था. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि नौसेना के ध्वज और कमीशनिंग पेनेंट को आखिरी बार आईएनएस राजपूत पर उतारा जाएगा, जो डीकमिशनिंग का प्रतीक है.


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