कोरोना महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों का खर्च उठाएगी उत्तर प्रदेश सरकार

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महामारी के बीच अनाथ अथवा निराश्रित हुए बच्चे राज्य की संपत्ति हैं. कोविड के कारण जिन बच्चों के माता-पिता का देहांत हो गया है, उनके भरण-पोषण सहित सभी तरह की जिम्मेदारी राज्य सरकार द्वारा मुहैया कराई जाएगी. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 20, 2021, 03:27 PM IST
  • अनाथ बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उठाएगी सरकार
  • ग्राम समितियां बच्चों का डाटा एकत्रित करेंगी
कोरोना महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों का खर्च उठाएगी उत्तर प्रदेश सरकार

लखनऊ: कोरोना महामारी ने कई घरों को उजाड़ दिया है. बच्चे भी अनाथ हो गये हैं. यूपी में कई बच्चे ऐसे भी हैं, जिनका पूरा परिवार ही कोरोना की चपेट में आ गया और उन्हें अपने माता-पिता खो दिए हैं. 

संक्रमण के चलते अनाथ और निराश्रित हुए बच्चों को लेकर यूपी सरकार ने अहम फैसला लिया है. मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने इस बारे में कहा कि कोविड महामारी के बीच प्रदेश के भीतर अनाथ अथवा निराश्रित हुए बच्चे अब राज्य की संपत्ति हैं, उनका ध्यान रखने के लिए राज्य सरकार की ओर से सभी जिम्मेदारियां निभाई जाएंगी.

अनाथ बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उठाएगी सरकार

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महामारी के बीच अनाथ अथवा निराश्रित हुए बच्चे राज्य की संपत्ति हैं. कोविड के कारण जिन बच्चों के माता-पिता का देहांत हो गया है, उनके भरण-पोषण सहित सभी तरह की जिम्मेदारी राज्य सरकार द्वारा मुहैया कराई जाएगी. 

उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग निर्देश दिया कि इस संबंध में तत्काल विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं.

महिला एवं बाल विकास की प्रमुख सचिव वी हेकली झिमोमी ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर आदेश दिए हैं कि वे कोरोना की वजह से निराश्रित हुए बच्चों की पहचान करवाएं. 

उन्हें आश्रय गृहों में पुनर्वासित किया जाएगा या फिर अगर परिवार के ही अन्य लोग इनका भरण पोषण करना चाहेंगे तो उन्हें गोद दिया जाएगा. 

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जिला अधिकारियों को ऐसे बच्चों के बारे में शासन को तो जानकारी देनी ही होगी. साथ ही राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी सूचनाओं की एक प्रति उपलब्ध करवानी होंगी.

ऐसे बच्चों का डाटा एकत्रित करने के मोहल्ला निगरानी समिति या ग्राम निगरानी समितियों की मदद ली जाएगी. आंगनबाड़ी और आशा कार्यकतार्ओं से भी ली जाएगी. 

चाइल्ड लाइन इस तरह के बच्चों को चिन्हित करेगी और उनकी जानकारी 24 घंटे के भीतर जिला प्रोबेशन अधिकारी को उपलब्ध कराएगी. 

बच्चों का डाटा जुटाने के लिए जनसमान्य की मदद लेने का प्राविधान है. इसके अलावा हेल्पलाइन नम्बर भी मदद की जा सकती है. 

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