भारत ने निकाल दी चीन की हेकड़ी, पीछे हट रहे चीनी सैनिक
पिछले कई दिनों से लद्दाख सीमा पर अतिक्रमण करने का दुस्साहस कर रहे चीनी सैनिकों को मोदी सरकार की कूटनीति और भारतीय सैनिकों के पराक्रम के आगे पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा है.
नई दिल्ली: लद्दाख सीमा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच चल रहे तनाव का पटाक्षेप नजर आने लगा है. भारतीय सैनिकों के पराक्रम और जोश के आगे चीनी सैनिक पस्त हो रहे हैं. बताया गया है कि चीन के सैनिक पूर्वी लद्दाख में दो किलोमीटर तक पीछे हट गए हैं और धीरे धीरे चीन के पसीने भी छूट गए. ये भारत सरकार की महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत मानी जा रही है. वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बेवजह तनाव पैदा करके कोरोना के महा पाप से बचने की कोशिश कर रही चीन की सरकार को भारत के आगे मुंह की खानी पड़ी है.
चीनी सैनिकों के तेवर ढीले
आपको बता दें कि भारत सरकार और पीएम मोदी के अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे चीन भारत से कूटनीतिक रूप से हार गया है. भारत की चीन के ऊपर ये ऐतिहासिक सामरिक विजय है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि चीन की पीएलए (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) की सैनिक टुकड़ियां गलवान नाला इलाके से 2 किमी पीछे हट गई हैं. अन्य जगहों पर उसने सैनिक बढ़ाने या आक्रामक रुख अख्तियार करने जैसी कुछ बड़ी गतिविधि नहीं की है.
चीनी सैनिकों ने उखाड़े तंबू
भारत के शानदार कूटनीतिक जाल के आगे चीन के सैनिकों ने अपनी तैनाती में आक्रामकता कम की है. गलवान घाटी में चीनी सैनिक थोड़ा पीछे हट गए हैं. उन्होंने अपने कैंप भी कम कर लिए हैं. पेंगांग झील में अभी भी फिंगर फोर पर दोनों देश के सैनिक आमने-सामने हैं. लेकिन वे भी अपनी औकात समझ गए हैं और तेवर नम्र कर लिए हैं. इससे पहले भी भारत और चीनी सेना के ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत में कोई हल नहीं निकल पाया था, जिसके बाद अगली तारीख 6 जून रखी गई.
6 जून को कमांडर स्तर की वार्ता
आपको बता दें कि तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की बातचीत होगी. भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की चर्चा होगी. लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर बराबर स्तर के चीनी अधिकारी से चर्चा करेंगे.
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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता का चीन द्वारा बार-बार उल्लंघन किया जाता रहा है. मौजूदा विवाद लगभग पिछले एक महीने से चल रहा है, लेकिन अब तक इसका कोई समाधान नहीं निकल पाया है. इतना ज़रूर है कि भारत के कड़े तेवरों के चलते बीजिंग के सुर बदले-बदले नजर आ रहे हैं और चीन भारत के आगे झुकने को मजबूर हो गया है.
भारत अपने रुख पर कायम
भारत का रुख दो बातों पर बिल्कुल साफ है और उससे किसी भी तरह समझौता नहीं हो सकता. पहली- एलएसी पर इंफ्रास्ट्रक्चर का काम न रुकेगा न धीमा किया जाएगा और दूसरी बात कि चीन को अब किसी भी कीमत पर आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा. गलवान वैली पूर्वी लद्दाख के अक्साई चिन के बाहरी हिस्से से लगी हुई है.