नई दिल्ली: Survey- आजाद भारत की राजनीति का राजनीतिक राजवंशों से गहरा नाता है. सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पर नेहरू-गांधी परिवार की चौथी पीढ़ी राज कर रही है. वहीं देश के अधिकतर क्षेत्रीय दलों पर परिवारों का नियंत्रण है. कई पार्टियों में वंशवाद की राजनीति मौजूद है. पर क्या भाजपा में वंशवादी राजनीति के लिए कोई जगह है? इस सवाल पर सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने आईएएनएस की ओर से एक राष्ट्रव्यापी सर्वे किया. इसमें लोगों की अलग-अलग राय सामने आई है.


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क्या है लोगों की राय 
सर्वे में विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में लोगों से पूछा गया कि क्या वास्तव में भाजपा वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा दे रही है? इस मुद्दे पर लोगों की अलग-अलग राय रही. 


सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, जहां 52 प्रतिशत लोगों ने कहा कि भगवा पार्टी वंशवाद की राजनीति में शामिल नहीं है और न ही इसे बढ़ावा नहीं देती है, वहीं 48 प्रतिशत लोगों ने जोर देकर कहा कि सत्तारूढ़ दल में भी कुछ हद तक वंशवाद है.


पार्टी के समर्थकों की क्या है सोच
सर्वे के दौरान, एनडीए के अधिकतर मतदाताओं और विपक्षी समर्थकों ने अपने राजनीतिक और वैचारिक झुकाव के अनुसार जवाब दिया.
एनडीए समर्थक 70 फीसदी उत्तरदाताओं ने भाजपा में वंशवाद की राजनीति नहीं होने का दावा किया, तो वहीं 63 फीसदी विपक्षी उत्तरदाताओं ने इस मुद्दे पर स्पष्ट तौर पर कहा कि भाजपा के नेता भी वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा देते हैं.


धर्म और जाति का असर
इसके अलावा, सर्वे में अधिकतर अनुसूचित जाति (एससी) के 69 प्रतिशत और मुस्लिम के 63 प्रतिशत लोगों ने जोर देकर कहा कि भाजपा राजनीति में भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देती है. वहीं ऊंची जाति के हिंदुओं में से 67 प्रतिशत लोगों ने कहा कि भाजपा वंशवाद की राजनीति को खत्म करना चाहती है.


पीएम करते रहे हैं विरोध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वंशवाद की राजनीति के विरोधी रहे हैं. पीएम मोदी देश के राजनीतिक परिदृश्य में आने के बाद से वंशवाद की राजनीति की व्यापकता और प्रभुत्व पर हमला करते रहे हैं.


स्वतंत्रता दिवस पर भी साधा निशाना 
देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर सोमवार को अपने भाषण में पीएम मोदी ने एक बार फिर वंशवाद की राजनीति पर हमला बोलते हुए इसे भ्रष्टाचार से जोड़ा था. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश इस समय दो बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है. पहला- भ्रष्टाचार और दूसरा-परिवारवाद (भाई-भतीजावाद). हालांकि, विपक्ष यह आरोप लगाता रहा है कि पीएम की वंशवाद की राजनीति की निंदा मात्र दिखावा है. वह अपनी ही पार्टी में कुछ राजनीतिक परिवारों के प्रभुत्व को देखकर भी अनदेखा कर देते हैं.

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