देवबंद: देवबंद में इस्लामोफोबिया के खिलाफ आवाज उठाई गई है. देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने कथित तौर पर मुल्क में बढ़ती साम्प्रदायिकता पर चिंता व्यक्त की और कहा कि सभाओं में अल्पसख्यकों के खिलाफ कटुता फैलाने वाली बातें की जा रही हैं लेकिन सरकार ने इस ओर आंखें मूंदी हुई हैं. बता दें कि 28 मई से जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दो दिन का जलसा आयोजित किया है.


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क्या है आरोप
मुस्लिम संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि देश के बहुसंख्यक समुदाय के दिमाग में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार के ‘‘संरक्षण में ज़हर घोला जा रहा है’’. जमीयत ने दावा किया कि "छद्म राष्ट्रवाद" के नाम पर राष्ट्र की एकता को तोड़ा जा रहा है, जो ना सिर्फ मुसलमानों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए बेहद ख़़तरनाक है. 


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सांप्रदायिक तत्वों द्वारा प्रज्वलित नफरत की चिंगारी को मीडिया का एक बड़ा वर्ग एक ज्वाला के रूप में प्रस्तुत करता है हर दिन,पत्रकारिता का खून किया जा रहा है,लेकिन अफसोस जिन हाथों में इस वक्त देश के संविधान और कानून की रक्षा की जिम्मेदारी है उन्होंने अपने कान और आंखें बंद कर ली है।
- Arshad Madani (@ArshadMadani) 27 May 2022


वहीं जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद असद मदनी इस बैठक में कहा कि बेइज्जत होकर खामोश हो जाना कोई मुसलमानों से सीखे. हम तकलीफ बर्दाश्त कर लेंगे लेकिन देश का नाम खराब नहीं करेंगी.


देवबंद में बैठक 
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की मज्लिसे मुंतज़िमा (प्रबंधक समिति) की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें "केंद्र सरकार से उन तत्वों पर और ऐसी गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाने" का आग्रह किया गया है जो लोकतंत्र, न्यायप्रियता और नागरिकों के बीच समानता के सिद्धांतों के खि़लाफ़ हैं और इस्लाम तथा मुसलमानों के प्रति कटुता फैलाती हैं.


वहीं देश में सद्भाव का संदेश देने के लिए धर्म संसद की तर्ज पर 1000 सद्भावना संसद के आयोजन का भी ऐलान किया है.

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