नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जमीनी हकीकत का जायजा लेने के लिए 25 देशों के विदेशी राजनयिकों का दल आज जम्मू पहुंचा. विदेशी राजनयिकों ने जम्मू कश्मीर हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस, उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू और DGP दिलबाग सिंह से मुलाकात की.



जम्मू कश्मीर में विदेशी राजनयिक


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जम्मू से पहले कल 25 राजनयिकों का डेलीगेशन कश्मीर में था. जहां उन्होंने कश्मीर के हालात का जायजा लिया था और कश्मीर के लोगों से बात भी की थी. 5 अगस्त के बाद से ये दूसरा मौका है जब विदेशी प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू कश्मीर का दौरा किया है.


कश्मीर को लेकर दुनिया में फैलाए जा रहे भ्रम को तोड़ने के लिये घाटी में एकबार फिर विदेशी राजनयिकों का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा है और डल झील उम्मीदों की इस नई हलचल से गुलजार है.


कश्मीर के डेवलपमेंट पर तेज हुई सियासत


डल झील में राजनयिकों की शिकारा सैर को लेकर कुछ संगठन विरोध भी जताते नजर आए. उनका कहना था कि राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल पर खर्च की गई रकम को कश्मीर के डेवलपमेंट पर खर्च किया जाना चाहिए.


पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत नजरबंद हैं कई नेता


विदेशी राजनयिकों के दूसरे प्रतिनिधिमंडल का ये दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है. जब जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत कई नेता पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत नजरबंद हैं. ये वो नेता हैं, जो कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने का विरोध कर रहे हैं और ये जताने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं कि आम कश्मीरी इस फैसले के साथ नहीं है.


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विदेशी राजनयिकों के इस दौरे को लेकर विपक्षी सियासत एक बार फिर तेज है. ये पहला मौका नहीं है, जब विपक्ष कश्मीर में विदेशी प्रतिनिधिमंडल के दौरे पर को लेकर सरकार पर सवाल उठा रहा है. यूरोपियन यूनियन के दौरे के वक्त भी विपक्ष ने सवाल उठाया था कि सरकार को पहले हिन्दुस्तानी संसद के नुमाइंदों को कश्मीर भेजना चाहिए था.


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