नई दिल्ली: JP Narayan Jayanti: जयप्रकाश नारायण को भारत के बड़े समाजवादी नेता हुए हैं. साल 1979 में उनका निधन हो गया था, 45 बरस बीत जाने के बाद भी जेपी की प्रासंगिकता बनी हुई है. इसका अंदाजा आप इससे भी लगा सकते हैं कि बिहार में दो विरोधी दल RJD और JDU जेपी को अपना आदर्श मानते हैं. इसके अलावा, भाजपा और कांग्रेस दो धुरी हैं, लेकिन जेपी की विचारधारा से प्रेरित होने की बात करते हैं. सियासी दल भले जेपी को याद करें, लेकिन उनके आदर्शों पर चलना हर किसी के बस की बात नहीं. जेपी तो अपने धुर विरोधियों से भी हंसकर मिला करते थे, उनकी चिंता करते थे. आज जेपी नारायण की जयंती है.


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इंदिरा को लिखते थे- माय डियर इंदु
जेपी ने भले 1975 के आंदोलन में इंदिरा गांधी की नीतियों की खिलाफ की, लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब वे नेहरू के साथ काम करते थे. आजादी के आंदोलन में जेपी ने जवाहरलाल नेहरू के साथ मिलकर अंग्रेजों की मुखालफत की थी. लेकिन बाद के दौर में वे इंदिरा गांधी की दमनकारी नीतियों से नाराज थे. खास बात ये है कि वे सिर्फ नीतियों के खिलाफ थे, इंदिरा नाम व्यक्ति विशेष के नहीं. वे जब भी इंदिरा गांधी को चिट्ठी लिखते, तो शुरुआत में 'माय डियर इंदु' लिखा करते थे.


इंदिरा को थी संजय की नसबंदी की आशंका
साल 1977 में इमरजेंसी हटने के बाद देश में चुनाव हुए, कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हारी. देश में जनता पार्टी की सरकार बनी. इमरजेंसी के दौरान संजय ने 5 सूत्री कार्यक्रम चलाया था. इसके तहत लोगों की जबरन नसबंदी की जा रही थी. सरकार जाने के बाद इंदिरा को डर था कि लोग संजय को जबरन तुर्कमान गेट ले जाकर उनकी सार्वजनिक रूप से नसबंदी कर देंगे. इंदिरा की आशंका के बारे में उनके दोस्त पुपुल जयकर ने विदेश सचिव जगत मेहता को बताया. मेहता ने ये बात लक्ष्मीचंद जैन को बताई, जो स्वतंत्रता सेनानी रहे थे. जैन बाद में साउथ अफ्रीका में भारत के उच्चायुक्त भी रहे.


जेपी इंदिरा से मिलने पहुंच गए
लक्ष्मीचंद जैन ने अपनी बायोग्राफी 'सिविल डिसओबिडिएंस, टू फ्रीडम स्ट्रगल्स वन लाइफ' में ये किस्सा बताया. जैन ने इंदिरा की आशंका जेपी तक पहुंचाई. ये बात जानकर जेपी परेशान हुए और इंदिरा गांधी के घर चले गए. जेपी ने इंदिरा से मुलाकात के दौरान पूछा- अब तो तुम प्रधानमंत्री नहीं हो, तो तुम्हारा खर्चा कैसे चलेगा इंदु? इस पर इंदिरा गांधी ने जवाब दिया- पिता जी की पुस्तकों की रॉयल्टी आती है, उनसे खर्चा निकल जाएगा. इस दौरान जेपी ने इंदिरा को आश्वस्त भी किया कि उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई नहीं की जाएगी.


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