नई दिल्लीः Jyotiba Phule Death Anniversary: जातपात के खिलाफ और स्त्री शिक्षा के लिए संघर्ष करने वाले ज्योतिराव गोविंदराव फुले की आज (28 नवंबर) पुण्यतिथि है. ज्योतिबा फुले (Jyotiba Phule) 19वीं सदी के महान विचारक, समाजसेवी, लेखक और क्रांतिकारी थे. उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था. उन्होंने अपना जीवन महिला सुधार और दलितों के उत्थान में लगाया. 


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लड़कियों के लिए खोला पहला स्कूल
ज्योतिबा फुले का परिवार माली का काम करता था और माली का काम करने के चलते ही उन्हें फुले नाम से जाना जाता था. ज्योतिबा ने महिला शिक्षा के लिए काफी संघर्ष किया. इसके लिए वह ब्रिटिश शासन से भी टकरा गए. उन्होंने साल 1848 में महिला शिक्षा के लिए एक स्कूल खोला. यह देशभर में लड़कियों के लिए शुरू किया गया पहला स्कूल था. 


पुणे में खोले गए स्कूल में सावित्रीबाई पहली शिक्षिका बनीं, जो ज्योतिबा की पत्नी थी. तब समाज के एक तबके ने इसका विरोध भी किया था और ज्योतिबा फुले को अपना स्कूल बंद करना पड़ा. हालांकि, फिर उन्हें किसी ने स्कूल के लिए अपनी जगह मुहैया कराई. ज्योतिबा का यह कदम स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा कदम था.


सत्यशोधक समाज की स्थापना की
ज्योतिराव फुले ने दलितों और वंचितों को न्याय दिलाने के लिए सत्यशोधक समाज की स्थापना की थी. समाज परिवर्तन के आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए 24 सितंबर 1873 को इसकी स्थापना की गई थी. इसका प्रमुख उद्देश्य शूद्रों-अतिशूद्रों को न्याय दिलाना, उन्हें शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना, उन्हें उत्पीड़न से मुक्ति दिलाना, वंचित वर्ग के युवाओं के लिए प्रशासनिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना आदि शामिल था. 


ज्योतिराव फुले को उनकी समाज सेवा से प्रभावित होकर 1888 में मुंबई की एक सभा में महात्मा की उपाधि से नवाजा गया. बताते हैं कि ज्योतिबा ने ब्राह्मण के बिना ही शादियां शुरू करवाईं. उन्होंने दलित बच्चों को अपने घर में पाला और उनके लिए पानी की टंकी भी खोली. साल 1890 में ज्योतिबा समाज सुधार के काम करते-करते इस दुनिया से चले गए.


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