नई दिल्लीः परमाणु हमला होने की स्थिति में भारत अपने जवाबी हमले की क्षमता के प्रदर्शन के लिए तैयार है. इसके लिए दिसंबर के पहले ही हफ्ते के शुरुआती दिनों में ही बंगाल की खाड़ी से परमाणु प्रतिरोधक मिसाइल का परीक्षण किया जा सकता है. इस मिसाइल को भारत की सबसे शक्तिशाली मिसाइल बताया जाता है. सबमरीन से लॉन्च हो सकने वाली K-4 न्यूक्लियर मिसाइल का परीक्षण पूर्वी तट से होने वाला है. मौसम सही रहा तो इसे अंजाम दिया जाएगा. यह 3,500 किमी तक मार करने की क्षमता वाली मिसाइल अरिहंत क्लास परमाणु पनडुब्बी के लिए डिजाइन की गई है. डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के डिवेलपमेंटल ट्रायल के हिस्से के तौर पर इसका अंडरवॉटर पंटून से परीक्षण किया जाएगा. यह परीक्षण परमाणु क्षमता से लैस मिसाइल के संचालन की दिशा में अहम पड़ाव होगा.


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नवंबर की शुरुआत में इसका ट्रायल करने की योजना थी, लेकिन उस समय पूर्वी तट पर बुलबुल चक्रवात आने की वजह से इसे रद्द कर दिया गया था. K-4 के अंतिम परीक्षण की कोशिश 2017 में की गई थी और इसके विकास प्रक्रिया में तेजी लाने की अपील की गई थी. खासकर, यह देखते हुए कि देश की दूसरी परमाणु पनडुब्बी INS अरिघात का काम पूरा होने वाला है और यह जल्द ही ट्रायल के लिए तैयार हो जाएगी. भारत ने मिसाइल के ट्रायल की तैयारी के लिए समुद्री जहाजों को पहले ही बता दिया है. 


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बंद रहेगा उड़ान मार्ग
इसके परीक्षण के लिए  एयरमैन को हिंद महासागर तक फैले 3,000 किमी लंबे उड़ान मार्ग को बंद करने के लिए नोटिस भेजा है. K-4 के पहले तीन परीक्षण हुए हैं और इसे असल गेम चेंजर माना जाता है, जो देश को जवाबी हमले का विकल्प देगा. भारत के पास INS अरिहंत में एक ऑपरेशनल SLBM (K15) है. हालांकि, इसकी मारक क्षमता 750 किमी है, जो जवाबी हमले की धार को कुंद करती है. इसके साथ ही न्यूक्लियर ट्रायड का प्रभाव भी सीमित है.


दुश्मन से हमला हुआ तो ही जवाब देगा भारत
पिछले कुछ वर्षों में जमीन पर मार करने वाली अग्नि सीरीज की मिसाइलों ने कई परीक्षणों के साथ अपनी उपयोगिता साबित की है. भारत के पास मिराज 2000 लड़ाकू विमान हैं, जो परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम हैं. आमतौर पर पानी के नीचे से लॉन्च मिसाइल को जवाबी हमले का सबसे ताकतवर हथियार माना जाता है. भारत ‘नो फर्स्ट यूज पॉलिसी’ को मानता है. इसका मतलब हुआ कि भारत अपने रणनीतिक हथियारों का इस्तेमाल तभी करेगा, जब न्यूक्लियर हमले की शुरुआत दुश्मन की ओर से होती है.



इस हालात में सभी संभावित दुश्मनों को टारगेट करने की क्षमता से लैस गहरे समुद्र में छिपी पनडुब्बी सबसे प्रभावी हथियार मानी जाती है.  DRDO ने K-5 पर भी काम शुरू कर दिया है, जो 5,000 किमी की मारक क्षमता से लैस SLBM है. यह न्यूक्लियर पावर्ड पनडुब्बियों पर भी फिट की जाएगी. K-5 के सफलता से भारत जमीन, समुद्र और हवा से हमला करने में सक्षम हो जाएगा.


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